यूपी शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन Wasim Rizvi (वसीम रिजवी) एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। वसीम रिजवी ने चांद-सितारे वाले इस्लामिक झंडे पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
Wasim Rizvi के अनुसार चांद-सितारे वाला हरा झंडा इस्लाम का नहीं
यूपी शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा है कि चाँद सितारे वाले झंडे से इस्लाम का कोई संबंध नहीं है। इसलिए, इस झंडे के फहराने पर रोक लगाई जानी चाहिए।
उनका कहना है कि यह झंडा पाकिस्तानी झंडे और मुस्लिम लीग से मिलता-जुलता है और मुस्लिम इलाकों में इसको फहराया जाना सांप्रदायिक तनाव पैदा करता है। जो लोग इस झंडे को फहराते हैं, वे खुद को पाकिस्तान से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं।
- वसीम रिज़वी के अनुसार हरे रंग के इस झंडे का इस्तेमाल तो 1906 में मुस्लीम लीग ने शुरू की थी।
- चांद-सितारे वाला हरा झंडा एक पॉलिटिकल झंडा था जो गुलाम भारत के समय में इस्तेमाल किया जाता था।
- 1947 के बाद पाकिस्तान ने इसी झंडे में सफेद पट्टी लगा कर अपना राष्ट्रीय झंडा बना लिया।
- वसीम रिजवी के मुताबिक मोहम्मद पैगंबर के समय सफेद या काले रंग के झंडे का इस्तेमाल किया जाता था।
इस मामले में उलेमा ने इसे असल मुददों से ध्यान भटकाने वाला शिगूफा बताते हुए कहा कि इस्लाम की नजर में सभी रंग बराबर हैं और किसी खास रंग की कोई एहमियत नहीं है।
- जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मौलाना हसीब सिद्दीकी ने कहा कि इस्लाम मजहब में सभी रंग बराबर हैं और किसी रंग की कोई अहमियत नहीं है।
- मौलाना ने कहा कि मुसलमानों में हरे रंग का इस्तेमाल इसलिए ज्यादा होता है क्योंकि हजरत पैगंबर मोहम्मद की कब्र के ऊपर बने गुबंद का रंग हरा है।