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क्या है अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय? जिसमें चल रहा है इस्राइल-हमास संघर्ष को लेकर मुकदमा

वर्ष 2002 में स्थापित और नैदरलैंड्स की राजधानी द हेग में स्थित, आईसीसी एक आपराधिक न्यायालय है। जिसमें व्यक्तियों पर युद्ध अपराधों व मानवता के विरुद्ध अपराध मामलों में मुकदमा चलाया जा सकता है। सोमवार को, आईसीसी ने इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, रक्षा मंत्री योआव गैलांट और हमास के तीन नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी किए जाने का अनुरोध किया है।

ये वारंट, इस्राइल में हमास के नेतृत्व में किए गए हमलों और उसके बाद, पिछले सात महीनों से गाजा में इस्राइली सैन्य कार्रवाई से जुड़े मामलों में हैं। इन वॉरंट को आईसीसी न्यायाधीशों द्वारा औपचारिक स्वीकृति दी जा सकती है। एक नजर, आईसीसी से जुड़े पांच अहम तथ्यों पर, और साथ ही जानते हैं कि एक अधिक न्यायसंगत विश्व को आकार देने में यह कोर्ट अपनी भूमिका किस प्रकार से निभा रही है।

1) जघन्यतम अपराधों के मुकदमे चलाना
आईसीसी को उन “लाखों बच्चों, महिलाओं और पुरुषों” को ध्यान में रखकर बनाया गया था, जो “मानवता की अंतरात्मा को झकझोर देने वाले अकल्पनीय अत्याचारों के शिकार हुए थे।” आईसीसी विश्व की पहली स्थायी, संधि-आधारित अदालत है, जिसका दायित्व मानवता के विरुद्ध अपराधों, युद्ध अपराधों, जनसंहार व आक्रामकतापूर्ण अपराधों के दोषियों की जांच करना व उन पर मुकदमा चलाना है।

इस कोर्ट ने पूर्व यूगोस्लाविया के स्रेब्रेनीत्सा समेत अन्य इलाकों में अंजाम दिए गए युद्ध अपराध मामलों में सफलतापूर्वक दोष सिद्ध किए और अंतरराष्ट्रीय न्याय से जुड़े कई अहम मामलों का निपटारा किया है। इनमें, बाल-सैनिकों का इस्तेमाल, सांस्कृतिक विरासत का विध्वंस, यौन हिंसा, या निर्दोष नागरिकों पर हमलों समेत अनेक अन्य मामले हैं। आईसीसी ने विश्व में कुछ सबसे गंभीर हिंसक टकरावों की जांच की है, जिनमें दारफूर, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, गाजा, जॉर्जिया व यूक्रेन समेत अन्य मामले हैं।

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