Breaking News

कब प्रशस्त होगी हर नारी?

अब एक इन्कलाब नारियों की जिजीविषा के नाम भी हो, तो कुछ रुकी हुई ज़िंदगियाँ साँस ले सकें, सदियों से जन्म लेने को बेताब कुछ एक नारियों के ख़्वाबों का कारवाँ कोख तलाश रहा है। खिलना है, फलना है, उड़ना है पर न उनके हिस्से की कोई धरा है, न उड़ने को आसमान, दो कूलों की महारानी पड़ी आज भी विमर्श की धार पे।  मरुस्थल में कटहल के पेड़ों सी तरस रही है, उम्मीदों का दीया मन में जलाएँ, तलाश रही है कोई झरना किसी उर से बहता हो कहीं तो, हल्की सी भीग लें।
नारी मन की कल्पनाओं से स्खलन होता है कई उम्मीदों के शुक्राणुओं का, न कोई कोख मिलती है, न हौसलों का अंडा फलित होने की ख़ातिर पलकें बिछाए बैठी है। दफ़न कर दिए जाते है अरमान कुछ स्त्रियों के ऐसे, जैसे बेटियों के गर्भ को कतरा-कतरा काटकर कोख में ही कत्ल कर दिया जाता है।
लकीरें बांझ ही रहती है, नहीं खिलती कोई कली खुशियों की, सत्तात्मक सोच की बलि चढ़ते कुछ ज़िंदगियाँ यूँही कट जाती है। सहचर, सखी, सहगामी फिर भी लाचार, बेबस, बेचारी समाज के तयशुदा मापदंडों पर खरी उतरने के लिए ही जन्मी, कब तक चरित्र का प्रमाण देती रहेगी।
बदलाव की बयार हल्की सी उठते जानें कब बवंडर का रुप लेगी, जो हर प्रताड़ीत वामाओं की लकीरों से दर्द का दरख़्त उड़ाकर ले जाएगी।  बेबस, असहाय, अकिंचन नारियों को देख नारी दिन का मनाना मृत्यु पर्यात की क्रिया लगती है, यथार्थ इतना क्रूर कि बलात्कार की हर घटना तमाचे की तरह समाज के गाल पर पड़ती है। विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग, जो सदियों से कलम तोड़ हुआ, प्रशस्त कब होगी हर नारी इस सवाल पर चलो अब काम किया जाए।
  भावना ठाकर ‘भावु’

About Samar Saleel

Check Also

अयोध्या के सिद्ध पीठ हनुमत निवास में चल रहा है संगीतमयी श्री राम चरित मानस पाठ

अयोध्या। सिद्ध पीठ हनुमत निवास में भगवान श्रीराम और हनुमान के पूजन के साथ राम ...