Breaking News

माननीय बनते ही क्यों बिगड़ जाते हैं सुर

अक्सर देखने को मिलता है जो जनप्रतिनिधि दिन रात लोगों की चौखट पर हाथ जोड़े उनका छोटे से छोटा काम करवाने के लिए खड़े रहते हैं मंत्री बनने के बाद उनके सुर बदल जाते हैं।

हाल ही में बीजेपी के सांसद और विधायक के बीच हुए जूतम-पैजार के बाद एक मीटिंग के दौरान कैमरा देखती ही प्रदेश सरकार की एक मंत्री आग बबूला हो गई। ये माननीया और कोई नहीं पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी हैं। मीडिया को देखते ही माननीया इस कदर भड़की मानो किसी ने उनके दो नंबरी खजाने को सार्वजनिक कर दिया हो।वह सीतापुर में जिला समिति की बैठक में शामिल होने पहुंची थीं। बैठक के दौरान जब मीडिया कर्मी कवरेज के लिए पहुंचे तो उन्होंने पत्रकारों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि,”आपके दिमाग खराब हैं क्या?..आपको किसने बुलाया है?” मंत्री रीता बहुगुणा जोशी सीतापुर की प्रभारी भी हैं। शनिवार को वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए जिले के विकास कार्यों के बजट परिव्यय के संबंध में जिला योजना समिति की मीटिंग में शामिल होने पहुंची थी।

13 जुलाई 2009 को रीता बहुगुणा जोशी के घर अग्निकांड

पहले कांग्रेस फिर बीजेपी का झंडा थामकर विधायक से मंत्री बनी प्रदेश सरकार की पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी के घर पर हुई अग्निकाण्ड की घटना के बाद चर्चा में वो चर्चा में आई। एनेक्सी से चंद कदम की दूरी पर हुसैनगंज इलाके में 13 जुलाई 2009 को रीता बहुगुणा जोशी के घर में आग लगा दी गई थी। उस समय रीता घर में नहीं थीं। पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को हिरासत में लिया था। अग्निकांड की घटना में कुछ पुलिस कर्मियों समेत बसपा नेता जितेंद्र सिंह बबलू और इंतिजार आब्दी का नाम भी षड्यंत्र रचने में सामने आया था। दोबारा मंत्री रीता बहुगुणा जोशी तब चर्चा में आई जब विधानसभा क्षेत्र में इनके गायब होने के पोस्टर लगे।

मंत्री रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ गैर जमानती वारंट 

अक्सर विवादों से जुड़ी रहने वाली प्रदेश सरकार की पर्यटन मंत्री के खिलाफ मुकदमों की त्वरित सुनवाई के लिए गठित इलाहाबाद की एक विशेष अदालत में विशेष न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश भी दिया चुका है। यह आदेश उन पर कई तारीख पर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद हाजिर नहीं होने पर दिया गया। मुक़दमें की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए विशेष न्यायधीश ने कहा,”वर्ष 2010 की घटना से जुड़ा मुकदमा लखनऊ में 2011 से विचाराधीन है। 14 फरवरी 2011 को अदालत ने संज्ञान लेकर समन जारी किया था। उसके बाद नियत तारीख पर कई समन जारी हुए। 18 अगस्त 2017 को 10,000 रुपये का जमानती वारंट जारी हुआ।”

मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ही नहीं मौजूदा उत्तर प्रदेश सरकार में ऐसे कई माननीय हैं जिन्हें शिष्टाचार का पाठ पढ़ाया जाना बेहद जरूरी है। अगर मंत्री महोदय ही अमर्यादित भाषा का प्रयोग करेंगे तो उनके अधीनस्थ कर्मियों के बोल बिगड़ना स्वभाविक हैं। पर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के चरित्र का अनुसरण करने वाली पार्टी के नेतागण जब अभिमानी रावण जैसा व्यवहार करने लगेंगे तो महज दिखावे के लिए मर्यादित बने रहने का स्वाँग रचने का क्या फायदा!

अनुपम चौहान
अनुपम चौहान

About Samar Saleel

Check Also

शरद पवार ने स्वीकार की MVA की हार, बोले- हमें अभी काफी काम करने की जरूरत

मुंबई। एनसीपी शरद गुट के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन ...