● टीम स्वामी के समर्थकों को अभी भी इस सीट पर उत्कृष्ट मौर्य की आस
रायबरेली। बसपा से भाजपा में आये स्वामी प्रसाद मौर्या अब सपा में हैं। इससे सूबे समेत उँचाहार की सियासत भी गरमाई है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि वो या उनके बेटे उत्कृष्ट मौर्य ऊंचाहार सीट से सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं, यहां से मोदी लहर में सपा की साइकिल दौड़ाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोज पांडेय को सदर भेजा जा सकता है। इन सब अटकलों पर विराम लगाते हुये यहां पर उँचाहार ,जगतपुर, गदागंज आदि में वर्तमान विधायक मनोज पांडेय के चुनाव कार्यालय खोलकर प्रचार शुरु कर दिया है।लेकिन अभी भी स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थकों को यह बात गले नही उतर रही वह सोशल मीडिया के माध्यम से स्वामी के बेटे उत्कृष्ट मौर्य को टिकट मिलने का दावा ठोक रहे हैं।
प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं स्वामी प्रसाद मौर्य
स्वामी प्रसाद मौर्य मूल रूप से प्रतापगढ़ जिले के बाघराय थाना क्षेत्र के बाबागंज के रहने वाले हैं। उनका इलाका रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के क्षेत्र में आता है। इसलिए यहां खुद को पनपता नहीं देख, उन्होंने रायबरेली जिले को अपनी कर्मस्थली बनायी । स्वामी प्रसाद ने रायबरेली की डलमऊ सीट से 1996 में पहली बार चुनाव जीता और विधानसभा पहुंचे। वो मायावती सरकार में मंत्री बने। इस सीट से पहले ओबीसी विधायक ही नहीं बल्कि मंत्री बनने वाले पहले नेता बने।
इसके बाद वो 2002 चुनाव में दोबारा विधायक चुने गए। 2007 में भी उन्होंने इस सीट से भाग्य आजमाया, लेकिन वो हार गए। साल 2008 में परिसीमन के बाद डलमऊ का नाम खत्म हो गया। डलमऊ का कुछ हिस्सा सरेनी विधानसभा सीट में चला गया और बाकी हिस्से को मिलाकर इस सीट को ऊंचाहार विधानसभा का नाम दे दिया गया।
दो बार से विधायक बनते आ रहे है मनोज पांडेय
ऊंचाहार सीट पर अभी तक दो बार 2012 और 2017 में चुनाव हुए हैं। दोनों बार यहां से सपा उम्मीदवार के तौर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोज पांडेय ने जीत दर्ज की है, जबकि योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे उत्कृष्ट मौर्य दो बार हारे हैं। ऊंचाहार रायबरेली जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस विधानसभा सीट पर सबसे अधिक दलित मतदाता हैं। उसके अलावा यादव, मौर्य, ब्राह्मण, राजपूत और अन्य ओबीसी वोटर्स भी बड़ी संख्या में हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्र वधू बीजेपी से ब्लॉक प्रमुख
हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्र वधू संगीता मौर्य दीनशाह गौरा से बीजेपी की निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख चुनी गई हैं। इसमें भी सपा प्रत्याशी से पर्चा छीनने के आरोप लगे थे और सपा विधायक डा मनोज पांडेय धरने पर भी बैठे थे। अब जब स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में है। तो अटकले बढ़ गयी हैं।
मनोज पांडेय का टिकट कटा तो भाजपा की राह होगी आसान
सूत्र बताते हैं कि इस सीट पर सपा विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोज पांडेय का वर्चस्व कायम है। यहां ब्राह्मण, मुस्लिम और यादव वोट का समीकरण भी अच्छा है। अगर टिकट कटा तो भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद है। अब क्या होगा यह तो वक्त ही बताएगा।
यह भी हैं कयास
स्वामी या उनके बेटे को उँचाहार से टिकट न मिलने पर उनकी टीम आंतरिक रुप से बसपा की प्रत्याशी अंजलि मौर्य के साथ जा सकती है। फिलहाल अभी तक स्वामी के समर्थकों ने इस बात का दावा कर रखा है की यहां से उनके बेटे अशोक को ही टिकट मिलेगा। उधर वर्तमान विधायक अपना चुनावी समर शुरु कर चुके हैं।
मामला दिलचस्प होता दिखायी दे रहा है। अखिलेश यादव के लिए भी इस विधानसभा सभा के टिकट का उलट फेर महंगा पड़ सकता है। क्योकि उनके पास डा मनोज पांडेय जैसा दूसरा बड़ा ब्राह्मण चेहरा नही है। उनकी नाराजगी पार्टी हरगिज नही चाहेगी। इसिलिए इस सीट पर फेर बदल की सम्भावना न के बराबर है। फिर भी राजनीति में कुछ भी सम्भव है।
रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्र