बिहार कैबिनेट की बैठक में कुल 18 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई, जिसमें गवाह सुरक्षा योजना को मंजूरी देने के साथ ही 17 अन्य प्रस्तावों को स्वीकृत किया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई. इसमें कैबिनेट ने एक बड़े प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए गवाह सुरक्षा योजना 2018 पर मुहर लगा दी है. इसके तहत अब बिहार में गवाहों को सुरक्षा मिलेगी.
बताया जाता है कि इस विशेष सुरक्षा सुविधा योजना के तहत अतिसंवेदनशील मुकदमें में बने गवाहों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी और इस दायरे में गवाह के माता-पिता, भाई-बहन समेत अन्य परिजन भी आएंगे.
बैठक में गवाहों को सुरक्षा देने, अररिया राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय का नाम फणीश्वर नाथ रेणु के नाम पर करने, न्यायालय के विभिन्न कोटि के 666 अराजपत्रित पदों और सुपौल के वीरपुर अनुमंडलीय न्यायालय में आठ अराजपत्रित पदों पर बहाली को कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी.
कैबिनेट ने पूर्णिया और कटिहार के दो चिकित्सकों को सेवा से बर्खास्त करने को भी मंजूरी दे दी. उत्पाद विभाग के अवर निरीक्षक के स्वीकृत 259 पदों में से 50 पदों को प्रत्यावर्तित कर 30 पुलिस निरीक्षकों को वेतन स्तर-7 में सृजित करने को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी.
नीतीश कैबिनेट ने यह फैसला लिया है कि मधनिषेध को कारगर बनाने के लिए 50 इंस्पेक्टर और 259 दारोगा के पदों पर नियुक्तियां होगी. इसके साथ ही बिहार में विशेष न्यायलयों में 676 अराजपत्रित पदों का भी सृजन किया गया है. उत्पाद अभियोग से संबंधित मामले के त्वारित निष्पादन के लिए 74 विशेष न्यायलय की स्वीकृति प्रदान की गई है.
गृह विभाग के प्रमुख सचिव आमिर सुबहानी ने कैबिनेट में लिए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि बिहार में नए स्टेट हैंगर, प्रशासनिक भवन, शैक्षणिक भवन ,अप्रोच वे एप्रोन के लिए 61.57 करोड़ स्वीकृत किए हैं. इसके साथ ही नाबार्ड के तहत मधुबनी के धौंस नदी पर बराज और सिंचाई योजना पर भी मुहर लगाई गई है और इसके लिए कुल 47 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है.
वहीं, 902 वन रक्षी की बहाली का रास्ता साफ हो गया है. वन आच्छादन बढ़ाने के लिए 141 करोड़ की स्वीकृति दी गई है. साथ ही बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार परामर्शदर्शी के मानदेय में बढ़ोतरी की स्वीकृति दी गई है. वहीं, पटना हवाई अड्डा के विस्तार में के लिए 61 करोड़ 57 लाख की राशि स्वीकृत की गई है. केंद्र सरकार की तर्ज पर बिहार सरकार के कर्मचारियों के लिए बिहार प्रासशनिक न्यायाधिकरण के गठन का फैसला किया गया है. अब कर्मियों को कोर्ट नहीं जाना पड़ेगा क्योंकि न्यायाधिकरण में मामले की सुनवाई होगी.