लखनऊ। इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेजज यूनीवर्सिटी द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित व्याख्यान में बोलते हुए डॉ राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय की शिक्षिका डॉ अलका सिंह ने मानवाधिकार साहित्य के रूप में महिला सशक्तिकरण: कुछ सामाजिक-सांस्कृतिक और कानूनी पहलू पर चर्चा की।
डॉ अलका सिंह ने वर्तमान परिवेश में महिला सशक्तिकरण पर चर्चा करते हुए कार्यस्थल पर लैंगिक समानता और तत्संबंधी सामाजिक, राजनीतिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक पक्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि निर्णय के प्रत्येक स्तर पर कम से कम एक महिला का प्रतिभाग होना अत्यंत आवश्यक है।
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उन्होंने पॉक्सो, पॉश और कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित कुछ कानूनों में संशोधन के बाद औपनिवेशिक युग के बाद से विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में हो रहे व्यापक बदलावों पर चर्चा की।
डॉ सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण पर ये चर्चाएं मानवाधिकार साहित्य के रूप में स्थापित होनी चाहिए क्योंकि सामाजिक विकास के इतिहास में भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष से लेकर हाल के विकास तक महिलाओं की भागीदारी का इतिहास शामिल है। किसी भी प्रकार का किसी भी स्तर पर भेदभाव एक व्यक्ति और समाज के सार्थक विकास में बाधक है।
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अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के परिसर निदेशक प्रो रजनीश अरोड़ा ने भेदभाव विषय पर पाठ्य और आलोचनात्मक पहलुओं पर विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए चर्चा की। इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेज विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय परिसर की शिक्षिका डॉ सौम्या ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। व्याख्यान में ईएफएलयू, लखनऊ के छात्रों और संकाय सदस्यों ने प्रतिभाग किया।