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विश्व हरकरघा दिवस : हथकरघा उद्योग को सशक्त और दुनियाभर में हैंडलूम की पहचान बनाना है मकसद

आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस है। हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पूरे देश में मनाया जाता है। बुनकरों को समर्पित राष्ट्रीय हथकरघा दिवस को मनाए जाने की शुरूआत वर्ष 2015 में की गई थी और इस अवसर पर हथकरघा यानि हैंडलूम के क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देश भर में विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। हालांकि, राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2023 को लेकर किसी मुख्य विषय की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय और मॉय गॉव (MyGov) द्वारा ‘My Textile My Pride’ और ‘Handloom, an Indian Legacy’ कैंपेन के साथ राष्ट्रीय हथकरघा दिवस प्रमोट किया जाता रहा है। हर साल 7 अगस्त का दिन भारत में राष्ट्रीय हथकरघा (हैंडलूम) दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का साफ मकसद है हैंडलूम प्रोडक्ट्स और इन्हें बनाने वाले कारीगरों को बढ़ावा देना..! लेकिन कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत और क्या है इसका महत्व आइए जानते हैं इसके बारे में।

विश्व हरकरघा दिवस का इतिहास, महत्व व उद्देश्य

देश में हथकरघा उद्योग को सशक्त बनाने और दुनियाभर में हैंडलूम की पहचान बनाने के मकसद से हर साल 7 अगस्त का दिन भारत में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाया जाता है। हैंडलूम हमारे भारत की सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा है या यों कहें कि पहचान है। पहनावे से लेकर घर की सजावट तक में हैंडलूम को अब खासतौर से शामिल किया जाने लगा है, जिससे इस इंडस्ट्री में रोजगार बढ़ा है और कारीगरों की स्थिति भी सुधर रही है।

विश्व हरकरघा दिवस : हथकरघा उद्योग को सशक्त और दुनियाभर में हैंडलूम की पहचान बनाना है मकसद

हैंडलूम उद्योग बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देने के अलावा महिलाओं को आत्म निर्भर बनने का भी मौका देता है। हमारे देश में ऐसे कई राज्य हैं, जो खासतौर से अपने हैंडलूम के लिए जाने जाते हैं, जैसे- आंध्र प्रदेश की कलमकारी, गुजरात की बांधनी, तमिलनाडु का कांजीवरम और महाराष्ट्र की पैठनी, मध्य प्रदेश की चंदेरी, बिहार का भागलपुरी सिल्क आदि…। कुछ ऐसे हैंडलूम हैं, जो भारत ही नहीं, दुनिया भर में मशहूर हैं।

हैंडलूम का इतिहास

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार साल 1905 में लार्ड कर्ज़न ने बंगाल के विभाजन की घोषणा की। इसी दिन कोलकाता के टाउनहॉल में एक महा जनसभा से स्‍वदेशी आंदोलन (Swadeshi Movement) की शुरुआत हुई थी।

विश्व हरकरघा दिवस : हथकरघा उद्योग को सशक्त और दुनियाभर में हैंडलूम की पहचान बनाना है मकसद

इसी घटना की याद में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है। 7 अगस्त, 2015 में प्रधानमंत्री ने इस दिन की शुरुआत की थी। तब से हर साल इस दिन को मनाया जाता है। इस साल 7 अगस्त 2023 को 9वां हैंडलूम-डे मनाया जा रहा है।

क्यों मनाया जाता है हथकरघा दिवस…

हथकरघा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लघु और मध्यम उद्योग को बढ़ावा देना है। इसके अलावा यह दिन बुनकर समुदाय को सम्मानित करने और भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में उनके योगदान को सराहने के मकसद से भी हथकरघा दिवस मनाया जाता है। यह बहुत जरूरी है कि हथकरघा से बनी चीजें देश- विदेश के कोने-कोने तक पहुंचे। इससे भारत को अलग पहचान तो मिलेगी ही साथ ही बुनकर समुदायों को भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

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