मानसिक बीमारी वाले मरीजो के साथ सह्दयता और सहानुभूति पूर्ण व्यहार करने के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए “वर्ल्ड मेंटल हैल्थ डे” सप्ताह के दौरान युवाओं द्वारा नुक्कड़ नाटक, पेंटिग, पोस्टर प्रतियोगिता सहित विभिन्न आयोजन किये गए। जिनके माध्यम से समाज में फैली रुढ़ीवादी परंपरा से बाहर निकलने के लिए मानसिक रोगियों को जागरुक रहने का आव्हान किया।
संबध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) की ट्रस्टी राजीव अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2019 की थीम मानसिक रोगियों में बढ़ती आत्महत्या को रेाकने के लिए कार्य विश्व स्तर पर रखी गई। जिसके चलते वर्ल्ड मेंटल हैल्थ डे पर युवाओं की टीम के साथ बसई गांव के हिनमैन्यूअल स्कूल, राजकीय सीनियर, सैकंडरी गर्ल्स स्कूल गुरुग्राम, ऋषि पब्लिक स्कूल सहित सावर्जनिक स्थानों पर लेखन, पेंटिंग्स, गीत, संगीत, वाद विवाद प्रतियोगिताओं के माध्यम से जागरुकता के कार्यक्रम आयोजित हुए।
इन आयोजनों में हमारे आसपास रह रहे ऐसे जरूरतमंद मरीजों के प्रति हमारा व्यवहार और आचरण कैसा हो, इस पर किशोरों ने नुक्कड़-नाटक के माध्यम से मानसिक बीमारियों से निपटने के लिए आवश्यक बदलाव पर जोरदार सवाल उठाया है। किशारों में बढ़ती इस समस्या और इनके बीच मानसिक स्वास्थ्य की देखरेख की आवश्यकता को देखते हुए संबध हेल्थ फाउंडेशन ने युवा किशोरों के साथ निरंतर जुड़े रहने की मुहिम चलाई है।
एसएचएफ की कार्यक्रम अधिकारी स्मृति गिल्होत्रा ने बताया कि हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में स्कूल जाने वाले बच्चों पर किए गए एक अघ्ययन में पाया गया है कि बड़े होते किशोर तनाव और चिंता से संबंधित खतरे सबसे अधिक हैं और यही कारण है कि राज्य में आत्महत्या की दर अधिक है। इस अध्ययन में देखा गया है कि स्कूल जाने वाले कई किशोरों में अवसाद के प्रारम्भिक लक्षण मिले हैं। इसके अतिरिक्त सात बच्चों में से एक बच्चे (मलिक, खन्ना, रोहिल्ला, मेहता और गोयल, 2017) में मामूली से गंभीर स्तर के अवसाद के लक्षण पाए गए हैं।
स्थिति की गंभीरता को बेहतर समझने के लिए ग्रामीण हरियाणा के बल्लभगढ़ ब्लॉक में किए गए एक अन्य अध्ययन में किशोरों के बीच आत्महत्या की उच्च दर का पता चला है। आठ वर्षों के अध्ययन में 3.5 प्रतिशत किशोरों की मौतों (साल्वे, कुमार, सिन्हा, सागर और कृष्णन 2013) का कारण आत्महत्या रहा है। आंकड़ों से स्पष्ट है कि बाल और किशोर मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हमारी जीवनशैली में तेजी से बदलाव ने बच्चों और उनके दैनिक चुनौतियों से निपटने के उनके तरीके पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
वे खुद और अन्य लोगों के साथ संबंध के महत्व को खोते जा रहे हैं। किशारों में बढ़ती इस समस्या और इनके बीच मानसिक स्वास्थ्य की देखरेख की आवश्यकता को देखते हुए संबध हेल्थ फाउंडेशन ने युवा किशोरों के साथ निरंतर जुड़े रहने की मुहिम चलाई है ताकि युवा किशारों की समस्याओं और उनकी चिंताओं को समझा जाए जिससे वे अपने विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यशालाओं और सत्रों के माध्यम से स्वयं, अपने परिवार और समाज के साथ संबंधों को सशक्त बना सकें। इस वर्ष मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के दौरान बच्चों की आवाज का पता लगाने और व्यापक रूप से समाज तक पहुंचने तथा कलंक को कम करने और मानसिक रूप से बीमार लोगों से डरने के बजाय उनसे सद्भावना पूर्ण रिश्तों के निर्माण करके उनका समर्थन करने की पहल की गई है।