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वर्ल्ड पॉपुलेशन डे: जनसंख्या नियंत्रण के लिए योगी सरकार ने तैयार किया फार्मूला

दया शंकर चौधरी

उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर योगी सरकार ने फॉर्मूला तैयार कर लिया है, जिसके तहत जिनके पास दो से अधिक बच्चे होंगे, वे न तो सरकारी नौकरी के लिए योग्य होंगे और न ही कभी चुनाव लड़ पाएंगे। दरअसल, उत्तर प्रदेश की राज्य विधि आयोग ने सिफारिश की है कि एक बच्चे की नीति अपनाने वाले माता पिता को कई तरह की सुविधाएं दी जाएं, वहीं दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरियों से वंचित रखा जाए।

इतना ही नहीं, उन्हें स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने समेत कई तरह के प्रतिबंध लगाने की सिफारिश इस प्रस्ताव में की गई है। दरअसल, उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण कानून के तैयार मसौदे में इस तरह के कई प्रस्ताव रखे हैं। आयोग ने इस मसौदे पर लोगों ने आपत्तियां व सुझाव भी मांगे हैं, जो 19 जुलाई तक आयोग को ई-मेल (statelawcommission2018@gmail.com) या फिर डाक के जरिए भेजे जा सकते हैं। अगर योगी सरकार इस फॉर्मूले को हरी झंडी दे देती है तो फिर यूपी में जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम माना जाएगा।

राज्य विधि आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल के मार्ग-दर्शन में यह मसौदा तैयार किया गया है। आपत्तियों एवं सुझावों का अध्ययन करने के बाद संशोधित मसौदा तैयार करके राज्य सरकार को सौंपा जाएगा। देश के अन्य राज्यों में लागू कानूनों का अध्ययन करने के बाद यह मसौदा तैयार किया गया है। इसे उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) एक्ट 2021 के नाम से जाना जाएगा और यह 21 वर्ष से अधिक उम्र के युवकों और 18 वर्ष से अधिक उम्र की युवतियों पर लागू होगा। यह मसौदा आयोग की वेबसाइट (upslc.upsdc.gov.in) पर अपलोड किया गया है।

एक बच्चा होने पर राहत ही राहत: राज्य सरकार ने वन चाइल्ड पॉलिसी स्वीकार करने वाले बीपीएल श्रेणी के माता-पिता को विशेष तौर पर प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत जो माता-पिता पहला बच्चा पैदा होने के बाद आपरेशन करा लेंगे, उन्हें कई तरह की सुविधाएं दी जाएंगी। पहला बच्चा बालक होने पर 80 हजार रुपये और बालिका होने पर एक लाख रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। ऐसे माता-पिता की पुत्री उच्च शिक्षा तक नि:शुल्क पढ़ाई कर सकेगी, जबकि पुत्र को 20 वर्ष तक नि:शुल्क शिक्षा मिलेगी। इसके अलावा उन्हें नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा और सरकारी नौकरी होने की स्थिति में सेवाकाल में दो इंक्रीमेंट भी दिए जाएंगे।

दो से ज्यादा बच्चे होने पर आफत ही आफत: आयोग ने दो से ज्यादा बच्चों के माता-पिता को कई तरह की सुविधाओं से वंचित करने का प्रस्ताव रखा है। इसमें उन्हें स्थानीय निकायों का चुनाव लड़ने से रोकने, सरकार से मिलने वाली सब्सिडी बंद किए जाने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने पर रोक लगाने तथा सरकारी नौकरी कर रहे लोगों को प्रोन्नति से वंचित करने का प्रस्ताव रखा गया है। ये सभी प्रस्ताव जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करके नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित पाठ्यक्रम स्कूलों में पढ़ाए जाने का सुझाव भी दिया है।

विश्व जनसंख्या दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य: 11 जुलाई को वर्ल्ड पॉपुलेशन डे यानी विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस की स्थापना 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल – यूएनडीपी द्वारा की गई था। 11 जुलाई 1987 तक विश्व में जनसंख्या का आंकड़ा 5 अरब के पार पहुंच चुका था। तब दुनिया भर के लोगों को बढ़ती आबादी के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिन को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ के रूप में निर्धारित करने का निर्णय लिया गया था और दिसंबर 1990 में इसे आधिकारिक बनाया गया।

विश्व जनसंख्या दिवस 2021 की थीम: विश्व जनसंख्या दिवस हर साल एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल की थीम “अधिकार और विकल्प उत्तर हैं। चाहे बेबी बूम हो या बस्ट, प्रजनन दर में बदलाव का समाधान सभी लोगों के प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को प्राथमिकता देना है।”

विश्व जनसंख्या दिवस का महत्व: विश्व जनसंख्या दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य उन मुद्दों पर प्रकाश डालना है जो पृथ्वी पर जनसंख्या में निरंतर वृद्धि के साथ उत्पन्न हो सकते हैं. यह जागरूकता फैलाने के लिए है कि अगर हम पृथ्वी पर बहुत अधिक लोगों का बोझ डालते हैं, तो यह किस प्रकार पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है। विश्व जनसंख्या दिवस के दिन परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, मानवाधिकार, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य, और स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया जाता है।

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