गोरखपुर। रामायण एक ऐसा प्रसंग है जो प्रचीन काल से संस्कृति और सामाजिक परंपराओं की सीख देती रही है। काशी हिन्दू विश्विद्यालय के छात्र प्रिंस तिवारी ने इसी परम्परा को कायम रखते हुए अपनी स्कूल ऑफ राम टीम तैयार की है। प्रिंस तिवारी द स्कूल ऑफ राम के संस्थापक हैं और शहीद नगर चौरी चौरा के बच्चों और अभिभावकों के लिए एक वर्कशॉप कार्यक्रम का आयोजन कर रहे है। प्रिंस के अनुसार, भगवान राम पर यह दुनिया का पहला वर्चुअल विद्यालय शुरु किया गया है। द स्कूल ऑफ राम के ज़रिए प्रिंस का उद्देश्य, श्री राम के युगों पुराने आदर्शों और रामायण के संस्कारों को नए-नए तरीकों से जन-जन तक पहुँचाना है।
चौरी चौरा, गोरखपुर और देवरिया जिले के बच्चों की रहेगी भागीदारी
- इस कार्यक्रम का आयोजन सचिन गौरी वर्मा के साथ मिल कर किया जा रहा है।
- इसमें सिर्फ चौरी चौरा के ही नहीं बल्कि गोरखपुर और देवरिया जिले के भी बच्चें भाग ले रहे है।
- रामकथा से ही बच्चों को अपनी धार्मिक संस्कृति,सामाजिक व पारिवारिक परम्पराओं का बोध होता है।
- जो उन्हे किताबों व स्कूलों से अक्सर सीखने को नहीं मिलता है।
श्री राम के आदर्शों और रामायण के संस्कारों को जन-जन तक लेकर जाने के उद्देश्य
- श्री राम के युगों पुराने आदर्शों और रामायण के संस्कारों को नए-नए तरीकों से जन-जन तक पहुँचाना है।
- “एक दिवसीय परस्पर संवाद कार्यशाला” का आयोजन शहीद नगर चौरी चौरा, गोरखपुर के लोगों के लिए आयोजित हो रहा है।
- जिसमें स्कूल ऑफ़ राम की टीम के रामायण के विभिन्न मार्मिक प्रसंगों पर परस्पर संवाद करेगी।
- साथ ही स्कूल ऑफ़ राम के द्वारा किये जा रहे कार्यों का विस्तृत परिचय भी दिया जाएगा।
राम को समझने वालों से है आह्वान-
स्कूल ऑफ राम टीम ने रामायण के मार्मिक प्रसंगों को स्वयं वास्तविक रुप से अनुभव करने वाले लोगों से आह्वान किया है। टीम का आह्वान है कि वे एक दिवसीय कार्यशाला के ज़रिए, प्राचीन भारतीय संस्कृति और सामाजिक परम्पराओं की यादों को पूरी रूचि लेकर ध्यानपूर्वक सीखें और उन सभी अच्छी बातों को अपने जीवन में धारण करें। इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक लोगों को आमंत्रित करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है ताकि प्रभु श्री राम के जीवन से बहुत सारी चीजे सीखने वाली जो है वो लोगों को बताई जा सके।
रिपोर्ट-रंजीत जायसवल