उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2021(शुक्रवार) को अपने कार्यकाल के चार वर्ष पूरे करके पाँचवें वर्ष में पदार्पण किया है। इस बीच योगी सरकार ने कई रिकार्ड कायम किए हैं। बताते चलें कि यूपी में बीजेपी की सरकारों में विभिन्न समय पर पांच मुख्यमंत्री बन चुके हैं। कल्याण सिंह दो बार मुख्यमंत्री रहे तो राम प्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह एक-एक बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
इसके अलावा योगी आदित्यनाथ 19 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री बने थे और अभी भी अपने पद पर कायम हैं। बीजेपी के इन मुख्यमंत्रियों में योगी आदित्यनाथ पहले ऐसे शख्स हैं, जो चार साल का कार्यकाल पूरा करके पाँचवे वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं।
बीजेपी की सत्ता में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड
उत्तर प्रदेश में में पहली बार बीजेपी की 1991 में सरकार बनी थी और मुख्यमंत्री का ताज कल्याण सिंह के सिर सजा था। उल्लेखनीय है कि कल्याण सिंह ने अयोध्या के लिए अपनी सत्ता की बलि चढ़ा दी थी। छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के चलते कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था। इसका नतीजा था कि वो 1 साल 165 दिन ही मुख्यमंत्री पद पर रह सके।हालांकि कल्याण सिंह सरकार बर्खास्त नहीं हुई होती तो स्वाभाविक तौर पर वो अपना कार्यकाल पूरा करती, क्योंकि पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी थी।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार दूसरी बार सितंबर 1997 में बनी और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कल्याण सिंह विराजमान हुए थे। कल्याण सिंह इस बार 2 साल 52 दिन ही सीएम पद पर रहे, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बिगड़े रिश्ते के चलते उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।इसके बाद बीजेपी ने राम प्रकाश गुप्ता को 12 नवंबर 1999 को मुख्यमंत्री बनाया जो 28 अक्टूबर 2000 तक ही अपने पद पर रह सके। इस तरह से राम प्रकाश गुप्ता महज 351 दिन ही सीएम रहे।
राम प्रकाश गुप्ता के बाद बीजेपी से मौजूदा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह साल 2000 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। राजनाथ सिंह एक साल 131 दिन ही सीएम के पद पर रहे और 2002 में चुनाव हुए तो बीजेपी की सत्ता में वापसी नहीं हो सकी। 15 साल के बाद 2017 में बीजेपी को यूपी में प्रचंड बहुमत मिला और मुख्यमंत्री का ताज योगी आदित्यनाथ के सिर सजा और वो चार साल का कार्यकाल पूरा करके पाँचवें वर्ष में प्रवेश करने वाले बीजेपी के पहले सीएम बनने जा रहे हैं।
कठोर फैसलों के चलते सीएम योगी बने बीजेपी सरकारों के लिए रोल मॉडल
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के फैसले बीजेपी के उन राज्यों के लिए भी नजीर बन रहे हैं जहां बीजेपी शासित सरकारों का दूसरा या तीसरा कार्यकाल चल रहा है। यूपी के लव जिहाद कानून, गोहत्या विरोधी कानून, प्रदर्शनकारियों पर सख्ती जैसे कई मामले हैं, जिसे देश के दूसरे बीजेपी शासित राज्य अपनाते नजर आ रहे हैं। बताते चलें कि लव जिहाद कानून को एमपी और कर्नाटक ने अपनाया है। इसी तरह प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए योगी ने जो कानून बनाया है, उसका अनुसरण भी कई राज्य कर रहे हैं। योगी के गोहत्या कानून को कई राज्यों ने अपनाया है।
धर्मांतरण विरोधी कानून: योगी आदित्यनाथ सरकार जबरन होने वाले धर्मांतरण के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्मांतरण प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लेकर आई है। ये ‘लव जिहाद कानून’ के तौर पर ज्यादा प्रचारित है। इस कानून के मुताबिक यह साबित हो जाता है कि धर्म परिवर्तन की मंशा से शादी की गई है, तो दोषी को 10 साल तक की सजा होगी। इसके तहत जबरन, लालच देकर या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन कराने को भी गैर जमानतीय अपराध माना गया है। एक तरह से तोहफा, पैसा, मुफ्त शिक्षा, रोजगार या बेहतर सुख-सुविधा का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराना अपराध की श्रेणी में आएगा।
योगी आदित्यनाथ के इस कानून की भले ही कुछ लोग आलोचना कर रहे हों, लेकिन बीजेपी शासित राज्य इसे अपनाने में जुटे हैं। उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मध्य प्रदेश, हिमाचल और कर्नाटक जैसे बीजेपी शासित राज्यों ने इसे अपनाया है। वहीं, हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने लव जिहाद कानून बनाया है, लेकिन हरियाणा में बीजेपी की सहयोगी जेजेपी के विरोध के चलते इसे कानूनी अमलीजामा पहनाना अभी बाकी है। उधर बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार से बीजेपी नेता ऐसे ही कानून की मांग उठा रहे हैं।
गोहत्या विरोधी कानून: योगी आदित्यनाथ ने यूपी की सत्ता पर काबिज होते ही सबसे पहले गोहत्या की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाए थे। इस दिशा में योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश गोवध निवारण कानून बनाया, जिसके तहत गोहत्या पर 3 से 10 साल की सजा और गोवंश को शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचाने पर पौने दो साल की सजा का प्रावधान है। यूपी में तमाम अवैध स्लाटर हाउस बंद कर दिए गए हैं। सीएम योगी, गोहत्या कानून का देश के दूसरे राज्यों में बीजेपी की रैली में जाकर प्रचार-प्रसार भी करते हैं। यूपी की तर्ज पर कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने भी ऐसा ही कानून बनाया है। हरियाणा की खट्टर सरकार ने भी गोहत्या के खिलाफ यूपी की तरह सख्त कानून बनाया है जबकि मध्य प्रदेश ने पहले ही ऐसे कानून बना रखी है। बीजेपी नेताओं ने बिहार चुनाव प्रचार के दौरान गोहत्या के खिलाफ यूपी की तर्ज पर कानून बनाने का वादा किया था। पश्चिम बंगाल, असम सहित अन्य राज्यों में हो रहे चुनाव के दौरान योगी आदित्य नाथ को स्टार प्रचारक बनाया गया है, ऐसे में स्वाभाविक है कि वे यूपी के गौ हत्या विरोधी कानून का प्रचार अवश्य करेंगे।
प्रदर्शनकारियों से हर्जाना वसूली का कानून: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार नागरिकता कानून के विरोध-प्रदर्शन के साथ सख्ती से निपटी थी। विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों के नुकसान की भरपाई के लिए प्रदर्शनकारियों से वसूली की गई थी। साथ ही उनके पोस्टर भी चौराहों पर चस्पा किए गए थे। वहीं, योगी सरकार ने सूबे के आंदोलनकारियों से सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से निपटने के लिए “लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण विधेयक-2021” को कानून बनाया। इसके तहत 5000 से एक लाख रुपये तक जुर्माना भरने का प्रावधान रखा गया है। योगी सरकार की तर्ज पर हरियाणा की खट्टर सरकार भी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर सख्ती बरतने के लिए कानून लेकर आई हैं। “संपत्ति क्षति वसूली विधेयक 2021” के तहत अब सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली की जाएगी। वहीं, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों से सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान का हर्जाना वसूलने की संभावनाओं पर विचार करें। इसके अलावा मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने भी भोपाल में सीएए के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में हर्जाने के लिए कई लोगों को नोटिस भेजा था।
शहरों के नाम बदलने की परंपरा: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से कई शहरों के नाम बदले हैं, जिनमें इलाहाबाद को बदलकर प्रयागराज और फैजाबाद जिला का नाम अयोध्या किया गया है। इतना ही नहीं आगरा के मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम रखा गया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की तरह ही मध्य प्रदेश में भी कई शहरों का नाम बदलने की मांग उठ रही है। मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर ने भोपाल के ईदगाह हिल्स, इंदौर और होशंगाबाद का नाम बदलने की मांग उठाई थी, जिसे पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने समर्थन किया था। इस तरह बीजेपी शासित राज्यों में यूपी सरकार की तर्ज पर कई काम या तो किए जा रहे हैं या उन पर विचार किया जा रहा है।
चार साल में योगी सरकार की दस महत्वपूर्ण और बड़ी उपलब्धियां
1. यूपी सरकार की अपराध और अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का परिणाम रहा है कि प्रदेश में डकैती, लूट, हत्या, बलवा और बलात्कार की घटनाओं में कमी आई है। प्रदेश में 59 नए थाने, 29 नई चौकियां, 04 नए महिला थाने, आर्थिक अपराध शाखा के 04 नए थाने, विजिलेंस के 10 नए थाने, साइबर क्राइम के 16 नए थाने व अग्निशमन के 59 नए केन्द्रों की स्थापना की गई है।
2. महिला कल्याण के लिए प्रदेश में खासतौर से ‘मिशन शक्ति’ अभियान प्रारंभ किया गया है। थाना व तहसील में “महिला हेल्प डेस्क” की स्थापना की गई है। बेटियों को शासन की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित किया जा रहा है।
3. स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर ऐसा कहा जा सकता है कि यूपी में कोरोना प्रबंधन बेहतरीन रहा है। वैश्विक संगठन डब्ल्यूएचओ ने भी इसकी प्रशंसा की है। 2016-17 से 2020-21 के बीच प्रदेश में 30 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना हो रही है। दो नए एम्स गोरखपुर व रायबरेली में संचालित हो चुके हैं।
4. प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्रमें भी उल्लेखनीय काम हुआ है। अकेले बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पिछले 4 वर्षों के दौरान 54 लाख से अधिक बच्चों ने प्रवेश लिया है। ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से सवा लाख से अधिक विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। प्रदेश के प्रतियोगी परीक्षा छात्रों को एक मंच देने के लिए प्रदेश सरकार ने “मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना” शुरू की है। अभी तक इस योजना से 18 लाख से अधिक छात्र फिजिकली व वर्चुअली जुड़ चुके है।
5. प्रदेश में आ रहे निवेश को लेकर कहा जा सकता है कि कोरोना कालखंड के दौरान प्रदेश में 56,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ है। जिसमें देश की पहली डिस्प्ले यूनिट और डाटा सेंटर पार्क उत्तर प्रदेश में स्थापित हो रहे हैं।
6. गन्ना किसानों की समस्या को लेकर भी प्रदेश सरकार गम्भीर है। बीते 4 वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश सरकार ने 1.27 लाख करोड़ रुपए से अधिक गन्ना मूल्य का भुगतान किया। कोरोना कालखंड के दौरान भी सभी 119 चीनी मिलों का सफलतापूर्वक संचालन किया गया। प्रदेश में 20 नए कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना की गई है। प्रधानमंत्री किसान सिंचाई योजना के अंतर्गत दशकों से लंबित परियोजनाओं को पूरा किया गया है। साथ ही लंबित 11 सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
7. प्रदेश में केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना जैसी विभिन्न योजनाओं को लागू कर जन-जन तक लाभ पहुंचाने में देश में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है।
8. प्रदेश में पर्यटन व संस्कृति के लेकर क्षेत्र में बहुत से कार्य हुए हैं। 2016-17 में प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से देश में तीसरे स्थान पर था। आज उत्तर प्रदेश धार्मिक पर्यटन के मामले में देश में पहले नंबर पर आ चुका है।
9. साल 2017 तक प्रदेश में केवल 2 एयरपोर्ट कनेक्टिविटी थी। आज प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर, आगरा, बरेली व हिंडन के एयरपोर्ट वायुसेवा के साथ जुड़ चुके हैं। इसके साथ ही 3 नए इंटरनेशनल एयरपोर्ट की स्थापना का कार्य चल रहा है। प्रदेश सरकार जेवर में राज्य का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनाने जा रही है। अयोध्या में भी एयरपोर्ट निर्माण की प्रक्रिया युद्धस्तर पर जारी है। इसके साथ ही 17 नए एयरपोर्ट के निर्माण कार्य भी चल रहे हैं।
10. प्रदेश के आर्थिक विकास के मद्देनजर ओडीओपी योजना के तहत प्रदेश के अंदर 50 लाख से अधिक एमएसएमई यूनिटों की स्थापना हुई। 2,13,000 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण बैंकों से उपलब्ध कराने में मदद मिली व 1.80 करोड़ से अधिक रोजगार का सृजन हुआ। इसी तरह विद्युत व्यवस्था को बेहतर करने की दिशा में भी यूपी सरकार ने गम्भीरता दिखाई है। जिला मुख्यालय को 24 घंटे, तहसीलों को 20-22 घंटे, ग्रामीण क्षेत्रों में 16-18 घंटे विद्युत आपूर्ति हो रही है। 1.21 लाख गांवों तक बिजली पहुंचाने का काम किया गया है।