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कोरोना से लोगों का जीवन और जीविका बचाने में जुटी योगी सरकार

लखनऊ के समीप मोहनलालगंज क्षेत्र में रहने वाले सुशील सैनी मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते हैं। इसी तरह से लखनऊ के डालीबाग क्षेत्र में ठेला लगाकर लोगों को चायनीज फ़ूड खिलाने वाले त्रिलोक भट्ट भी करीब एक महीने से घर में बैठे हुए हैं। कोरोना के कारण इन दोनों का काम धंधा बंद है। सुशील और त्रिलोक अकेले ऐसे मजदूर या दूकानदार नहीं हैं, इनके जैसे लाखों लोगों पर कोरोना की महामारी की मार पड़ी है। ऐसे लोगों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीते शनिवार को एक नई योजना लेकर सामने आये हैं। जिसके तहत शहरी क्षेत्रों में दैनिक रूप  से कार्य कर अपना जीविकोपार्जन करने वाले दुकानदरों और दिहाड़ी मजदूरों को प्रदेश सरकार एक हजार रुपए देगी। इसके अलावा प्रदेश सरकार गरीबों और जरूरतमन्दों को राहत पहुंचाने के लिए अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी श्रेणी के राशन कार्ड धारकों को 3 माह के लिए प्रति यूनिट 3 किलो गेहूं तथा 2 किलो चावल निःशुल्क उपलब्ध कराएगी।

गत शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में हुई कैबिनेट में लिए गए यह दो प्रमुख फैसले उन लोगों के जीवन तथा जीविका को बचाने में मददगार साबित होंगे जो मेहनत-मजदूरी कर अपना तथा पाने परिवार का पेट भरते हैं। इस कैबिनेट मीटिंग में हुआ कि कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों में गरीबों और जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा अंत्योदय एवं पात्र गृहस्थी श्रेणी के राशन कार्ड धारकों को तीन माह के लिए प्रति यूनिट 3 किलो गेहूं तथा 2 किलो चावल निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।

इस प्रकार, प्रति यूनिट 5 किलो निशुल्क खाद्यान्न जरूरतमंदों  को मिलेगा। प्रदेश सरकार के इस फैसले से प्रदेश के लगभग 15 करोड़ लोग लाभांवित होंगे। इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को हर सम्भव राहत और मदद उपलब्ध कराने के अपने संकल्प को पूरा करने के क्रम में शहरी क्षेत्रों में दैनिक रूप  से कार्य कर अपना जीविकोपार्जन करने वाले ठेला, खोमचा, रेहड़ी, खोखा आदि लगाने वाले पटरी दुकानदारों, दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा/ई-रिक्शा चालक, पल्लेदार सहित नाविकों, नाई,  धोबी, मोची, हलवाई आदि जैसे परम्परागत कामगारों को एक माह के लिए 1,000 रुपए का भरण-पोषण भत्ता प्रदान करने का भी फैसला लिया। प्रदेश सरकार के इस फैसले से करीब 01 करोड़ गरीबों को राहत मिलेगी।

बीते साल भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अन्य राज्यों से पलायन कर उत्तर प्रदेश पहुंचे करीब 35 लाख श्रमिकों और प्रदेश ठेला, खोमचा, रेहड़ी और रिक्शा चलाने, साप्ताहिक बाजार आदि का कार्य करने वाले करीब 15 लाख लोगों को भरण पोषण के लिए एक हजार रुपए देने का फैसला किया था। फिर डीबीटी के माध्यम से यह एक हजार रुपए इनके खातों में भेजे गए थे। अन्य राज्यों से आए श्रमिकों को तब निशुल्क राशन भी दिया गया था। इस बार भी डीबीटी के जरिए शहरी क्षेत्रों में दैनिक रूप से कार्य कर अपना जीविकोपार्जन करने वाले ठेला, खोमचा, रेहड़ी, खोखा आदि लगाने वाले पटरी दुकानदारों, दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा/ई-रिक्शा चालक, पल्लेदार सहित नाविकों, नाई,  धोबी, मोची, हलवाई आदि के खातों में एक हजार रुपए भेजे जाएंगे।

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने आंशिक कोरोना कर्फ्यू के दौरान जरूरतमन्दों के लिए कम्युनिटी  किचन के माध्यम से भोजन की व्यवस्था जारी रखने के निर्देश भी दिए हैं। और प्रदेश के सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए  चलाई जा रही दो योजनाओं के बारे में श्रमिकों को जागरूक करने को कहा है। प्रदेश सरकार ने दुर्घटना में दुर्भाग्य से किसी श्रमिक की मृत्यु अथवा दिव्यांगता हो जाने पर 2 लाख रुपए के सुरक्षा बीमा कवर तथा 5 लाख रुपए तक के स्वास्थ्य बीमा कवर की व्यवस्था इन योजनाओं के माध्यम से की है। इसके साथ ही सरकार ने इस बार अन्य राज्यों से लौटे करीब सात लाख श्रमिकों को भी मनरेगा में कार्य देने को कहा है, ताकि किसी को जीविका संकट ना हो।

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