उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना काल में उन लोगों की भी आंख के ‘सुरमा’ बन गए हैं जिनको योगी आंख में ‘किरकिरी’ की तरह चुभते थे। करीब तीन महीने में योगी का कद अपने समकक्ष नेताओं से काफी ऊंचा हो गया। योगी ने कोरोना काल में काम ही बेहतर नहीं किया,बल्कि इस दौरान उन्होंने नपे-तुले शब्दों में अपनी बात भी रखी ताकि विरोधियों या फिर मीडिया को उन्हें घेरने का मौका नहीं मिल सके। एक तरफ योगी आम जनता, कोरोना पीड़ितों, प्रवासी मजदूरों,गरीब-बेसहारा लोगों के लिए मसीहा बन गए तो दूसरी तरफ उन्होंने ब्यूराके्रसी के साथ-साथ पूरी सरकारी मशीनरी पर भी नियंत्रण बनाए रखा। इसके साथ-साथ जहां सख्त फैसले लेने की जरूरत पड़ी तो उसमें भी योगी पीछे नहीं हटे। कोरोना के खिलाफ जंग में योगी ने पैसे की कमी नहीं होने दी। इसके लिए उन्होंने जनप्रतिनिधियों को विकास कार्यो के लिए मिलने वाला फंड रोक दिया। सरकारी कर्मचारियों के भत्तों पर रोक जैसा फैसला शायद ही कोई और नेता उठाने का साहस कर पाता। गरीबों के बैंक खाते में पैसा देकर उनका आर्थिक मदद पहुंचे। हर माह मुफ्त राशन का वितरण हो रहा है।
गौरतलब हो, लॉकडाउन के दौरान राजस्व वसूली बहुत कम हो गई थी। तब खर्चों में कटौती के साथ-साथ योग सरकार ने रेवेन्यू बढ़ाने के नए रास्ते भी तलाशे। इतना ही नहीं योगी ने अपने राजकीय प्लेन और हेलिकॉप्टर का सीमित व्यवसायिक इस्तेमाल करने तक का फैसला कर डाला। राजकीय प्लेन और हेलिकॉप्टर से राजस्व जुटाने के लिए इनका इस्तेमाल एयर ऐंबुलेंस और अन्य राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्री को सेवाएं देने के लिए भी किया जाने लगा। मौजूदा समय में एयर ऐंबुलेंस के रूप में प्राइवेट प्लेन का इस्तेमाल किया जाता है, इस पर बहुत ज्यादा खर्च आता है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक एयर ऐंबुलेंस में प्राइवेट कंपनियां लखनऊ से दिल्ली तक के लिए 6 से 7 लाख रुपये वसूलती हैं। वहीं राजकीय प्लेन के इस्तेमाल से इन खर्चों में काफी कटौती हो गई। एक तरफ तो लोगों को सस्ती ऐंबुलेंस की सुविधा मिली। दूसरी तरफ राज्य सरकार को राजस्व भी मिला। कोरोना वायरस के प्रकोप की आहट होते ही योगी सरकार ने देहाड़ी मजदूरों के लिए बड़ा कदम उठाते हुए देहाड़ी मजदूरों के खाते में पैसे भेजने का निर्णय लिया। साथ ही योगी सरकार ने कोरोना पॉजिटिव की मुफ्त में जांच और इलाज कराने का भी निर्णय लिया। लाॅक डाउन के दौरान जो छात्र-छात्राएं कोटा में फंसे रह गए थे,उन्हें बसों से वापस बुलाया और एक पैसा भी नहींे लिया। उत्तर प्रदेश के जो मजदूर अन्य राज्यों से वापस आने को परेशान थे,उनके लिए भी योगी ने बस और टेªन की व्यवस्था की। अन्य राज्यों की सरकारों से भी कहा कि वह यूपी के मजदूरों से पैसे न मांगे। राजस्थान से लौटे छात्रों पर हुए खर्च का बयोरा देते हुए जब राजस्थान की कांगे्रस सरकार ने योगी सरकार बिल भेजकर पैसा मांगा तो उसमें भी योगी पीछे नहीं हटे।
योगी जनता के लिए बिना भेदभाव के सब कुछ कर रहे थे,लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं था कि उन्होंने अपने तेवर ही बदल दिए थे,जब कोरोना पीड़ित जमातियों ने स्वास्थ्य कर्मियों के साथ बदसलूकी की तो फिर उनके साथ सख्ती में योगी ने कोई कोताही नहीं दिखाई। स्वास्थ्य टीम या कोरोना वारियर्स पर हमला करने वालों पर एनएसए तक लगाया गया। कोरोना के खिलाफ जिस तरह से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की कमान संभाल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जंग लड़ी है, उसकी हर तरफ सराहना हो रही है। कई राज्यों की जनता में यह बेचैनी देखी गई कि उनके पास योगी जैसा सीएम क्यों नहीं है। करीब 23 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कोरोना को जिस तरह योगी सरकार ने पस्त किया उससे राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली जैसे तमाम राज्य जो जनसंख्या में मामले में उत्तर प्रदेश के सामने कहीं नहीं टिकते हैं,वहां भी जनता अपने-अपने मुख्यमंत्रियों के प्रति नाराजगी दिखाते हुए योगी की तारीफ के पुल बांध रही हैं।
कोरोना काल में योगी के लिए सबसे खास बात यह रही कि उन्हें यूपी की जनता ने एक सुर में सराहा। क्या हिन्दू, क्या मुसमलान-सिख -इसाई सब योगी के मुरीद हो गए। नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के समय जो लोग बहकावे में आकर योगी को अपना दुश्मन मान बैठे थे,उनकी भी गलतफहमी कोरोना काल में दूर हो गई है। लाॅक डाउन के समय ही रजमान का पवित्र महीना भी पड़ा। मुस्लिमों ने रोजे रखे तो देश के लिए दुआ भी की। वहीं अपवाद को छोड़कर मुसलमानों की बड़ी आबादी योगी की कार्यशैली से खुश दिखी। योगी ने ऐसी योजना बनाई की जरूरत मंदों के पास पैसा-अनाज सब कुछ पहुंचता रहा। उत्तर प्रदेश के मुसलमान ही नहीं हैरत की बात यह है कि कट्टर हिंदूवादी छवि के माने जाने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यों की तारीफ दुश्मन देश पाकिस्तान में भी हो रही है। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार द डॉन के संपादक फहद हुसैन ने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की तुलना वहां के हालात से करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि यूपी के फैसलों से सीखें और महाराष्ट्र की गलतियों से सबक लेना होगा। बता दें कि सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, उतर प्रदेश में अभी तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 10261 है, जबकि पाकिस्तान में 98943 लोग संक्रमित हो चुके हैं। पाकिस्तान में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 2002 है, जबकि यूपी में अभी तक 275 लोगों की जान गई है।
बहरहाल, इतना सब होने के बाद भी योगी कुछ लोगों को आज तक संतुष्ट नहीं कर पाए हैं। योगी की कार्यशैली की पाकिस्तान मे सराहना हो रही है,लेकिन उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव,बसपा सुप्रीमो मायावती, कांग्रेस नेत्री प्रियंका वाड्रा,राहुल गांधी को योगी सरकार की कार्यशैली और कोरोना से निपटने के लिए उठाए गए कदमों में खोट ही खोट नजर आती है। यह नेता संकट की इस घड़ी में भी सियासत करने से बाज नहीं आ रहे हैं। यह और बात है आज की तारीख में जनता योगी के सामने किसी और नेता की सुनने को तैयार नहीं दिखाई दे रही है। कोरोना काल में योगी ने अपनी हिन्दूवादी नेता वाली छवि को पूरी तरह से छो दिया। यूपी में अब वह सर्वमान्य नजर आ रहे हैं। आज यूपी की सियासत में अगर कोई सबसे चर्चित चेहरा है तो वो सिर्फ और सिर्फ सीएम योगी अदित्यनाथ हैं। एक ऐसा नेता जिसने कई सालों से हिन्दू और हिन्दुत्व के मुद्दे पर यूपी ही नहीं बल्कि देश के कई हिस्सों में अपनी ललकार दिखाई है,लेकिन कोरोना काल में वो सीएम के तौर पर जनता की हर कसौटी पर खरा उतरने की कवायद में लगे हुए हैं। जब से कोरोना ने दस्तक दी है योगी आदित्यनाथ फुल एक्शन में हैं, वो व्यवस्था को सुधारने की हर मुमकिन कोशिश में जुटे हुए हैं, चाहे मंत्री हो या फिर अधिकारी-कर्मचारी हर किसी से वो जवाब-तलब कर रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ उसी जनता की तकलीफे दूर करने की कोशिश में लगे हुए हैं जो पिछली सरकारों के कार्यकाल में डरी हुई थी सहमी हुई थी, उसका पिछली सरकारों से भरोसा उठ गया था, अधिकारी उसकी सुनते नहीं थे, जनता त्रस्त थी, उसे योगी आदित्यनाथ पर भरोसा जगा है और योगी आदित्यनाथ भी उस भरोसे को टूटने नहीं देना चाहते, जिस जनता के अधिकारी, विधायक और मंत्री के दर्शन नहीं होते थे, जो कभी लोगों की फरियाद तो दूर लोगों की बात सुनने को तैयार नहीं थे, आज योगी आदित्यनाथ ने उस तस्वीर को बदल दी है, जो लोगों के बीच पहुंच रहे हैं, वो कभी जनता से तकलीफ से पूछते हैं। योगी आदित्यनाथ अपने पुराने अंदाज में लौट आए हैं. पहले तो वो महंत और सांसद के तौर पर लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे और अब सीएम के तौर पर लोगों से सीधे न सिर्फ जुड़ रहे हैं बल्कि तत्काल लोगों की समस्याओं का हल निकालते हैं वो लोगों के बीच चैपाल लगाते हैं तो वहीं अधिकारियों के लिए ये चैपाल योगी सर की क्लास बन जाती है. वो लोगों के बीच ही अधिकारियों से हर एक-एक योजना की जानकारी लेते हैं, अगर काम पूरा नहीं होता है तो तुरंत संज्ञान लेते हैं और वो अधिकारियों को जरूरी निर्देश भी देते हैं।