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इनोवेटिव डिजाइन से आप स्वयं को स्थापित कर सकते हैं- मनीष अरोरा

• देश के प्रख्यात चित्रकार प्रो मदन लाल नागर के जन्म शताब्दी वर्ष -2023 पर आयोजित हुआ व्याख्यान श्रृंखला। 

किसी भी वस्तु की डिजाइनिंग एवं उसे आकर्षक बनाने में जिस विधा का इस्तेमाल होता है, उसे एप्लाइड आर्ट्स कहते हैं। यह कई मायने में फाइन आर्ट्स से भिन्न है। इसके तहत फोटोग्राफी, डिजाइन, रेखांकन, लिथोग्राफी आदि के मिले-जुले रूप का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिए देश में अनेकों संस्थान है जो इस विधा में विधिवत शिक्षा प्रदान करते हैं। इसी संस्थान में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 110 वर्ष पुरानी कला संस्थान कला एवं शिल्प महाविद्यालय, ललित कला संकाय, लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध संस्था है। जहां पर फ़ाइन आर्ट्स, अपलाईड आर्ट्स, मूर्तिकला और टेक्सटाइल विभाग है। इस संस्थान से निकले छात्र आज देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी कला का परचम लहरा रहे हैं।

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शुक्रवार को ललित कला संकाय में एक व्यापारिक कला पर विधिवत व्याख्यान हुआ जिसमे विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ मनीष अरोरा ने अपने व्याख्यान के माध्यम से इस विधा की विस्तृत जानकारी दी। डॉ मनीष अरोरा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के दृश्य कला संकाय में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। उन्होने कहा की जब आपका मनपसंद शौक आपका करियर बन जाता है तो आप अपना सौ फीसदी उसमें देते हैं और फिर सफल होने से आपको कोई नहीं रोक सकता। कला में आप चाहें तो एक ऐसा करियर बना सकते हैं, जहां पैसा भी है, अपने शौक से ताउम्र जुड़े रहने का सुकून भी और शोहरत भी। इसमें नौकरी के साथ साथ ही, फ्रीलांसिंग करके भी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। यदि आप में हुनर है तो अपनी कला प्रदर्शनियों के सहारे आप नाम और पैसा दोनों कमा कर शोहरत की बुलंदियों को छू सकते हैं। चाहे डिजाइनिंग,फैशन डिजाइनर, फोटोग्राफी, एनिमेशन, विज्ञापन, कार्टून, कैरिकेचर, कैरेक्टर डिजाइन, आर्ट गैलरी, संग्रहालय, इंटीरियर डिजाइनिंग, वाल पेंटिंग तमाम ऐसे स्थान हैं जहां हम अपनी कलात्मक प्रस्तुति का हिस्सा बना सकते हैं। डूडल, इमोजीस, इलस्ट्रेशन,स्टोरीबोर्ड, कंप्यूटर ग्राफ़िक जैसे भी कितने तरीके हैं हमारे काम करने के लिए।

हमे इमेजिनेशन पावर को बहुत मजबूत बनाने की जरूरत है। इन सबके लिए सबसे पहले स्केचिंग की बहुत जरूरी है जो 6 वर्ष फ़ाइन आर्ट्स में पहले ही बताया जाता है । इस स्किल को ज्यादा बेहतर ढंग से बढ़ाने की जरूरत है तभी इन सब क्षेत्रों में सफल हो सकते हैं। कला के क्षेत्र में करियर की बहुत उजली संभावनाएँ हैं। अगर आप में क्रिएटिविटी है तो आप इस क्षेत्र में आसमान की ऊँचाइयों को छू सकते हैं। हमारे हर काम मे कला और सौंदर्य के भाव अवश्य होना और दिखना चाहिए। हमे अपना प्रेजेंटेशन को महत्व देनी चाहिए। वही आकर्षण का माध्यम बनता है। हमे एस्थेटिकली सोच के साथ साथ समय के साथ जागरूक भी होना होगा। हमे समकालीन और आधुनिक कला में हो रहे तकनीक,प्रयोग की भी जानकारी होनी चाहिये। यानि की कला के सभी विधाओं अच्छे से जानने समझने की जरूरत है। तभी कुछ नया कर सकते हैं। इनोवेशन से आप स्वयं को स्थापित कर सकते हैं। इसके लिए अपने कलात्मक ज्ञान को बारीकी से बहुत ज्यादा समय देने की जरूरत है। और हमे अपने आस पास का वातावरण भी कलात्मक और सुंदर रखने की जरूरत है।

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इनोवेशन ऑपर्च्युनिटीज पर व्याख्यान में दृश्यकला विषय के क्षेत्र में नए इनोवेशन डिजाइन के संबंध में देश दुनिया मे हो रहे प्रयोग एवं उसके परिणाम से भी अवगत कराया तथा विजुअल आर्ट्स का क्षेत्र इतना विस्तृत है कि इसके बिना दुनिया का कोई भी क्षेत्र इससे बच नही सकता। अरोरा ने अपने प्रेसेंटेशन के माध्यम से अनेकों इनोवेटिव डिजाइन, विज्ञापन ,गूगल, एप्पल,एवं तमाम मल्टीनेशनल कंपनियों में हो रहे डिजाइन के बदलाव और प्रयोग और उनकी सोच को भी रेखांकित किया। और उसमें कलाकारों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला जो महाविद्यालय के छात्रों के लिए बड़ा ही जानकारी प्रद व्याख्यान रहा। साथ ही छात्रों में एक ऊर्जा का भी प्रभाव दिखा क्योंकि इस प्रकार के व्याख्यान से ही उन्हें उनके क्षेत्र में अग्रसर होने के लिए सार्थक मार्गदर्शन मिलता है। ऐसे व्याख्यान होते रहने चाहिए।

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श्री अरोरा ने कई काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ललित कला संकाय के अनेक पूर्व छात्रों जो आज अपने आपको स्थापित किए हुए हैं उनसे भी रूबरू कराया और उनके कामों को भी दिखाया। जिसमें से वर्तमान समय में प्रयोग हो रहे विभिन्न प्रतीकों के पीछे कलात्मक कार्य करने वाले कलाकारों के बारे में भी बताया जैसे कैलिग्राफर राजीव खरे फॉण्टवाला जो काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र रहे। जिन्होंने एक भाषा ही रच डाला। फाइन आर्ट्स किया हुआ छात्र ही आगे चल कर दुनिया को नई रचनात्मकता से जोड़ता है। दिलीप चौबे प्रसिद्ध इलस्ट्रेटर और कैरेक्टर डिजाइनर के भी किए गए सृजनात्मक कार्यों को दिखया। संजय ओझा इलस्ट्रेटर जिन्होंने माइकल जैक्सन के भारत यात्रा पर होने वाले परफॉर्मेंस का स्केच किया था। इन्होंने स्टोरीबोर्ड भी बनाया हैं। प्रोफेसर बी के चक्रवर्ती ग्राफिक डिजाइनर, प्रोडक्ट डिजाइनर हैं। इनोवेशन एक सिस्टेमेटिक तरीका होता है। हमे अपना कैलिबर मजबूत करने की जरूरत है ताकि लोग आपके काम से जानें। बीके चक्रवर्ती ने ही लाइट वेट् पालकी, कुर्सियां, हैंड स्टाम्प फ़ॉर पोस्ट के लिए डिजाइन किया जिसका प्रयोग आज लोग कर रहे हैं।
इस व्याख्यान में कला महाविद्यालय के डीन रतन कुमार, आलोक कुशवाहा, अतुल हुन्दू,रविकांत पांडेय, गिरीश पांडेय,भूपेंद्र अस्थाना,संजय राजपूत सहित बड़ी संख्या में संकाय के छात्र छात्रा उपस्थित रहे।

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