सरकार ने 2024-25 के बजट में अचल संपत्तियों पर मिलने वाले इंडेक्सेशन लाभ को हटा दिया है। इसकी भरपाई के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) कर की दर को 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले से आवासीय संपत्ति बेचने पर अब एलटीसीजी में इंडेक्सेशन यानी महंगाई को समायोजित करने का लाभ नहीं मिलेगा।
आसान शब्दों में इसका मतलब है कि पुरानी अचल संपत्तियां बेचने पर लोगों को महंगाई समायोजन का लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही, उन्हें अधिक टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा। बजट में लाए गए बदलावों के मुताबिक, सरकार ने 2001 से पहले खरीदी गई या विरासत में मिली संपत्तियों पर करदाताओं के लिए इंडेक्सेशन लाभ बरकरार रखा है। कर की दर में बदलाव 23 जुलाई, 2024 से लागू हो गए हैं।
अधिक करदाताओं को होगी बचत : आयकर विभाग
आयकर विभाग ने कहा, एलटीसीजी की दर में कटौती से अधिकतर करदाताओं को पर्याप्त कर बचत होगी। विभाग ने सोशल मीडिया मंच लिखा, रियल एस्टेट में नॉमिनल रिटर्न सामान्य तौर पर सालाना 12-16 फीसदी के आसपास है, जो महंगाई से बहुत अधिक है। वहीं, महंगाई के लिए इंडेक्सेशन करीब चार से पांच फीसदी है। इंडेक्सेशन उस अवधि पर निर्भर करता है कि संपत्ति को कितने समय के लिए अपने पास रखा गया है। अचल संपत्ति की अवधि के आधार पर लाभों की तुलना करते हुए विभाग ने कहा, इंडेक्सेशन के बिना नई कर दर अधिकतर मामलों में लाभकारी है।
क्या था इंडेक्सेशन लाभ
यह ऐसा नियम था, जो महंगाई के हिसाब से अचल संपत्ति की कीमतों को समायोजित करता था। इसे समझने के लिए पहले कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (सीआईआई) को समझना जरूरी है। सीआईआई एक ऐसा नंबर होता है, जो हर साल बदलता है। अचल संपत्ति खरीदने वाले व्यक्ति को खरीद वर्ष के हिसाब से एक नंबर मिलता था। इसी नंबर के हिसाब से महंगाई और लागत को संतुलित कर एलटीसीजी टैक्स लगाया जाता है। सीआईआई नंबर हर वर्ष के हिसाब से बढ़ता रहता है।