लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विभिन्न प्राईवेट स्कूल संगठनों के प्रतिनिधियों ने आज निजी विद्यालयों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं जैसे लगभग 500 दिनों से विद्यालयों का लगातार बंद रहना, प्राईवेट स्कूलों को आरटीआई एक्ट के अन्तर्गत लाना एवं आरटीई एक्ट की तमाम विसंगतियों पर गहन चर्चा-परिचर्चा की एवं प्रदेश सरकार से निजी स्कूलों की समस्याओं पर ध्यान देने की पुरजोर अपील की।
एसोसिएशन ऑफ प्राईवेट स्कूल्स, उप्र एवं नेशनल इण्डिपेन्डेन्ट स्कूल्स एलायन्स (नीसा) के संयुक्त तत्वावधान में सीएमएस कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित प्रदेश के सभी निजी विद्यालय के संगठनों की मीटिंग ‘मंथन’ में आज लखनऊ, वाराणसी, अलीगढ़, कानपुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, गोंडा आदि विभिन्न जिलों व मंडलों से पधारे निजी स्कूल संगठनों के प्रतिनिधियों ने विद्यालयों को तत्काल खोलने की जोरदार वकालत की तो वहीं दूसरी ओर स्वयं के संसाधनों पर निर्भर निजी विद्यालयों की स्वायतता को खत्म करने हेतु विद्यालयों को राईट टू इन्फार्मेशन (आरटीआई) एक्ट के अन्तर्गत लाने की घोर आलोचना करते हुए इसे एक असंवैधानिक कदम बताया।
बैठक में बोलते नेशनल इण्डिपेन्डेन्ट स्कूल्स एलायन्स (नीसा) के प्रेसीडेन्ट कुलभूषण शर्मा ने कहा कि कोरोना से निपटने में उत्तर प्रदेश अग्रणी रहा है परन्तु जहाँ बिहार, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में स्कूल खुल गये हैं तो फिर यूपी में स्कूलों का न खुलना एक विडम्बना ही है। अनिल अग्रवाल, प्रेसीडेन्ट, अनएडेड स्कूल्स एसोसिएशन ने अपने संबोधन में कहा कि वार्तालाप से ही सभी समस्याओं का समाधान संभव है। हम प्रजातान्त्रित तरीके से आरटीआई एक्ट की विसंगतियों से प्रदेश सरकार को अवगत कराना चाहते हैं।
विशाल जैन, प्रेसीडेन्ट, काॅनफडरेशन ऑफ इण्डिपेन्डेन्ट स्कूल्स, मेरठ, ने कहा कि स्कूलों का बंद होना सिर्फ बच्चों का ही नहीं अपितु समाज व देश का नुकसान है। अतुल श्रीवास्तव, प्रेसीडेन्ट, यूपी स्कूल्स एसोसिएशन ने कहा कि आरटीई एक्ट के अन्तर्गत प्रशासन को विद्यालय को प्रति छात्र व्यय के अनुसार धनराशि की प्रतिपूर्ति करनी चाहिए।
सीएमएस संस्थापक डा. जगदीश गाँधी ने स्कूल प्रबंधकों से अपील की कि अपनी समस्याओं से जनमानस को अवगत करायें एवं पब्लिक ओपिनियन बनायें, जिसका शासन-प्रशासन पर सकारात्मक असर पड़ता है। सीएमएस प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने प्रदेश के विभिन्न संगठनों की एकता पर बल देते हुए राज्य स्तरीय संगठन बनाने का सुझाव दिया, जिसके बैनर तले प्रदेश के सभी संगठन एक स्वर में अपनी आवाज बुलन्द कर सकें।
बैठक के अन्त में एक प्रेस कान्फ्रेन्स का आयोजन हुआ। इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु स्कूली पढ़ाई को कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में, स्कूलों को अब अविलम्ब खोल देना चाहिए। इण्डियन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने भी स्कूलों को खोलने के पक्ष में अपनी सहमति दे दी है।