माइग्रेंट डिटेंशन सेंटर में पिछले छह वर्षों से बंद ईरानी मूल के कुर्दिश पत्रकार व लेखक बहरोज बूचानी को सोमवार को ऑस्ट्रेलिया के सबसे जरूरी साहित्यिक पुरस्कारों में से एक नेशनल बायोग्राफी अवार्ड का विजेता घोषित किया गया। एफे न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, बहरोज बूचानी उत्तरी पापुआ गिनी में स्थित मानुस द्वीप पर एक शरणार्थी बने हुए हैं व उन्होंने वहां से व्हाट्सएप के माध्यम से ‘नो फ्रेंड्स बट द माउंटेन : राइटिंग फ्रॉम मानुस प्रीजन’ किताब लिखी है।
ऑस्ट्रेलियाई माइग्रेंट डिटेंशन सेंटर में कैद पत्रकार के अनुभव को इसमें साझा किया गया है। वह वहां 2013 से बंद हैं। पुरस्कार देने वाली स्टेट लाइब्रेरी ऑफ न्यू साउथ वेल्स ने कहा, “किताब गहन रूप से जरूरी है, खासकर यह देखते हुए कि यह किन दशा में लिखी गई है। यह प्रतिरोध के लिए लेखन की जीवनरक्षक शक्ति का सबूत है। ”
लाइब्रेरी ने बूचानी के हवाले से एक ट्वीट में कहा, “मुझे साहित्य की बात नहीं करनी, मैं सिर्फ यह बोलना चाहूंगा कि मुझे लगता है कि इस व्यवस्था के मुकाबले के लिए ऑस्ट्रेलिया के नागरिक समाज के हिस्से के रूप में साहित्य समुदाय हमारे प्रतिरोध का भाग है। ” उन्होंने कहा, “और मुझे लगता है कि यह बहुत जरूरी है, मैं अपने कार्य को पहचानने के लिए सभी का आभार जाहीर करता हूं। “