एक विस्तृत रिपोर्ट पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने हाई कोर्ट में दाखिल की है। ईपीसीए ने सीएनजी और पेट्रोल वाहनों को पांच के बजाय नौ वर्ष के लिए अनापत्ति प्रमाण लेटर देने की सिफारिश की है। अगर इसको मंजूरी मिल जाती है तो इससे दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ देशभर के करोड़ों टैक्सी चालकों को बड़ी राहत मिल सकती है। रिपोर्ट में बोला गया है कि सीएनजी स्वच्छ ईंधन है व इसी वजह से डीजल की तुलना में इसे अधिक समय तक चलाने की छूट दी जा सकती है। मौजूदा समय में परिवहन विभाग ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट के वाहनों को पांच वर्ष की एनओसी देता है। यह नियम डीजल, सीएनजी व पेट्रोल तीनों तरह के वाहनों पर लागू होता है। मई 2016 में हाई कोर्ट ने आदेशदिया था, जिसके बाद से ही यह नियम लागू है। आइए जानते है पूरी जानकारी विस्तार सेअगर इस मुद्दे में टैक्सी चालकों की मानें तो इस सबके कारण ही सीएनजी टैक्सी घाटे का सौदा बन रही हैं। पांच वर्ष बाद टैक्सी चालकों को सीएनजी टैक्सियां बहुत ज्यादा कम दाम में बेचनी पड़ती है। टैक्सी ऑपरेटर लगातार इस मामले को उठा रहे हैं, जिसके बाद हाई कोर्ट में इसकी रिपोर्ट दी गई। ईपीसीए का बोलना है कि स्वच्छ ईंधन होने की वजह से सीएनजी वपेट्रोल की गाड़ियों को नौ वर्ष के लिए परमिट दिया जाना चाहिए।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इसके साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन देने के मद्देनजर सरकार ने शुक्रवार को मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव किया है, जिसके तहत 15 वर्ष से ज्यादा पुराने वाहनों को उपयोग से हटाकर कबाड़ में भेजने का प्रावधान किया गया है। अधिसूचना के मसौदे के मुताबिक सरकार की योजना है कि 15 वर्ष पुराने वाहनों के ठीक-ठाक होने के प्रमाणपत्र का नवीनीकरण हर छह माह में कराया जाए। अभी यह नवीनीकरण कराने की समयसीमा एक वर्ष है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम में संशोधन की मसौदा अधिसूचना जारी की है।