चाहे किभी भी आप बैंक के ग्राहक क्यों न हों अगर आप Online Banking और Net Banking का इस्तेमाल करते हैं, तो आपके लिए ये खबर महत्वपूर्ण है। दुनियाभर में ऑनलाइन बैकिंग यूजर्स को एक नए तरह का ट्रोजन मैलवेयर अपना शिकार बना रहा है। यह मैलवेयर यूजर्स के पर्सनल और फाइनेंस डेटा के साथ ही क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुरा रहा है।
साइबर सिक्यॉरिटी रिसर्चर्स ने बताया कि इस बैंकिंग ट्रोजन (कंप्यूटर वायरस) का नाम मेटामोर्फो है। यह अब तक दुनियाभर के कई ऑनलाइन बैंकों के यूजर्स को अपना शिकार बना चुका है। धीरे-धीरे यह मैलवेयर अपना दायरा बढ़ाता जा रहा है। पिछले महीने ही ब्राजील में इसे बैंकों में जालसाजी के चलते बैन किया गया था, जिसके बाद इस मैलवेयर ने दूसरे देशों की तरफ रुख कर लिया।
यह एक तरह का ट्रोजन मैलवेयर है। इसे हैकर फिशिंग ईमेल्स के जरिए फैला रहे हैं। इस ईमेल में यूजर को मेसेज दिया जाता है कि उनके खाते में पैसे भेजे जा रहे हैं। मैलवेयर का नाम मेटामोर्फो है। यह एक रिमोट ऐक्सेस ट्रोजन है जिसे सबसे सबसे पहली बार 2016 में एक अंडर ग्राउंड फोरम में देखा गया गया था। बीते कुछ सालों में इसे काफी अपडेट कर दिया गया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का हर चौथा नागरिक बैंकिंग संबंधी धोखाधड़ी का शिकार है। ऐसे समय में जब देश डिजिटल होने की ओर बढ़ रहा है और कैशलेस अर्थव्यवस्था की बात की जा रही है, तो जरूरी हो जाता है कि ऑनलाइन बैंकिंग प्रणाली से जुड़ी धोखाधड़ी पर रोक लगाने के उपाय ढूंढ़े जायें और उपभोक्ताओं को जागरूक भी किया जाए। ऑनलाइन बैंकिंग में हो रहे फ्रॉड को लेकर रिजर्व बैंक ने बैंक ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लेकर कई बार विस्तृत दिशा-निर्देश कर चुका है।
आप भी रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर जाकर इसे पढ़ सकते हैं। आपको बता दें कि अपने ऑनलाइन बैंकिंग लेनदेन को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से ग्राहक को अपने खाते में हुए किसी भी लेनदेन या पासवर्ड प्राप्त करने के लिए एसएमएस या ईमेल संदेश पाने के लिए मोबाइल फोन और यदि हो तो ई-मेल पता खाते में अनिवार्य रूप से दर्ज करवाना चाहिए। ग्राहक के खाते से यदि कोई अनाधिकृत लेनदेन हुआ है और गलती या लापरवाही बैंक की है, तो बैंक इस नुकसान की पूरी भरपाई करेगा।