प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र के लिए एक अरब डॉलर के लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने इस दौरान रूस के साथ आपसी विकास और प्रगति के सभी क्षेत्रों में काम करने की प्रतिबद्धता जताई। मोदी ने मुख्य अतिथि के रूप में ईस्टर्न इकोनोमिक फोरम (EEF) को संबोधित करते हुए कहा कि भारत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सुदूर पूर्व क्षेत्र को विकसित करने के विजन को सुनिश्चित करने में सक्रिय रूप से भागीदार बनेगा।
मोदी ने कहा कि बुधवार तक दोनों पक्षों के बीच 50 समझौते पहले ही हो चुके हैं, जो अरबों डॉलर के निवेश में तब्दील होगा। मोदी ने पुतिन, जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे, मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद और मंगोलिया के राष्ट्रपति खल्टामागीन बाटुल्गा की उपस्थिति में अपने संबोधन में भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का उल्लेख किया और कहा कि इस नीति में ‘एक्ट फार ईस्ट’ नीति के तहत एक नया आयाम जुड़ गया है।
भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा, “यह नया आयाम हमारी आर्थिक कूटनीति में मदद करेगा।” मोदी ने कहा कि वह ऊर्जा और खनिज संपदा से परिपूर्ण रूसी सुदूर पूर्व में ‘असीमित अवसर’ को देखते हैं। मोदी ने कहा, “हम रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र की प्रगति में एक सक्रिय भागीदार बनेंगे।” प्रधानमंत्री ने एक अरब डॉलर के एलओसी की घोषणा करते हुए कहा कि यह पहली बार है जब भारत एक देश के किसी क्षेत्र के लिए ऐसा कर रहा है।
भारत ने निवेश के लिए रूस के सुदूर पूर्व में ऊर्जा, स्वास्थ्य, खनन और इमारती लकड़ी जैसे क्षेत्रों की पहचान की है, जिसमें अपार क्षमता है। पुतिन के सुदूर पूर्व विजन को भारत की ओर से दिए जाने वाले महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने ईईएफ के लिए ‘अभूतपूर्व तैयारी’ की थी और वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अगुवाई में 150 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल यहां हाल ही में आया था, जिसमें चार मुख्यमंत्री भी शामिल थे। (एजेंसी)