घर की पवित्रता बनाए रखने के लिए व निगेटिव ऊर्जा को दूर रखने के लिए वास्तु शास्त्र में कई नियम बताए गए हैं. घर का वातावरण सकारात्मक रहेगा तो बच्चों का मन पढ़ाई में भी अच्छी तरह लग सकता है. वास्तु में अध्ययन कक्ष यानी स्टडी रूम के लिए भी कई बातें बताई गई हैं,
- अध्ययन कक्ष में भोजन करने से बचना चाहिए. अगर इस कमरे में खाना-पीना करना ही हो तो ध्यान रखें खाने के बाद जूठे बर्तन तुरंत बाहर रख देना चाहिए. पढ़ते समय जूठे बर्तन अध्ययन कक्ष में रखे होंगे तो पढ़ाई में मन नहीं लगता है. विद्यार्थी का ध्यान बार-बार इन बर्तनों की ओर जाता है.
- विद्यार्थियों को ईशान कोण (उत्तर-पूर्व का कोना) की ओर मुंह करके पढ़ाई करनी चाहिए. यदि इस दिशा में पढ़ाई करना संभव न हो तो पूर्व या उत्तर या पश्चिम दिशा में मुंह करके पढ़ाई कर सकते हैं. दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पढ़ाई करना शुभ नहीं माना गया है.
- स्टडी रूम में पूर्व-उत्तर की ओर खिड़की होगी तो श्रेष्ठ रहता है. इस कमरे की छत पिरामिड के आकार वाली हो तो सर्वश्रेष्ठ रहता है. ऐसे कमरे में की गई पढ़ाई लंबे समय तक याद रहती है. बच्चों की स्टडी टेबल पर छोटा सा पिरामिड भी रख सकते हैं.
- पढ़ाई करते समय अपने इर्द-गिर्द का वातावरण शुद्ध व सुगंधित होना चाहिए, कमरे में दुर्गंध नहीं होनी चाहिए.
- पढ़ाई की टेबल पर आवश्यक सामग्री ही होनी चाहिए. अनावश्यक सामग्री को तुरंत हटा देना चाहिए, अन्यथा पढ़ाई के समय मन भटक सकता है.
- ब्रह्म मुहूर्त पढ़ने का समय सबसे अच्छा समय होता है. सूर्योदय से पहले यानी प्रातः काल 4.30 बजे से प्रातः काल 10 बजे तक पढ़ाई करना लाभदायक रहता है. रात को अधिक देर तक पढ़ना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है.
- अध्ययन कक्ष में माता सरस्वती, गणेशजी या अपने प्रिय देवी-देवता की फोटो लगा सकते हैं. इस कमरे में सिर्फ प्रेरक फोटो लगानी चाहिए.