कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार मैन ऑफ द वीक हैं व सभी की निगाहें उन पर हैं। छह बार विधायक रह चुके रमेश कुमार के 25 वर्ष के राजनीतिक ज़िंदगी में यह दूसरा मौका है जब उन्होंने प्रतिष्ठित पद संभाला है। गवर्नर विजूभाई वाला द्वारा जल्द फ्लोर टेस्ट पूरा करने के लिए भेजे गए आदेश को नजरअंदाज करने के उनके निर्णय से प्रदेश के दो शीर्ष संवैधानिक पदाधिकारियों के बीच सीधा विवाद हुआ है। कुमार को उनकी समझदारी व साहसी स्वभाव के लिए जाना जाता है। 1978 में तत्कालीन सीएम डी देवराज उर्स ने उन्हें विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के तौर पर चुना था, तब वे यूथ कांग्रेस पार्टी के मेम्बर थे।
रमेश कुमार के निर्वाचन क्षेत्र श्रीनिवासपुरा में ब्राह्मणों की संख्या मात्र हजारों में है। ब्राह्मण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद वह शक्तिशाली रेड्डीज को हराने में पास रहे हैं व बहुत ज्यादा कम आयु में ही विधानसभा पहुंच गए। उनके मतदाता श्रद्धापूर्वक उन्हें ‘स्वामुलु’ कहते हैं, जिसका अर्थ ‘भगवान’ अथवा ‘गुरु’ होता है।
पहली बार 1994 में बने थे स्पीकर
कुमार ने 1978 से 10 विधानसभा चुनाव लड़े हैं, जिनमें से छह बार उन्होंने जीत दर्ज की है। यह संयोग की बात है कि वह पहली बार तब स्पीकर बने जब वर्तमान सीएम एचडी कुमारस्वामी के पिता पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा 1994 में सीएम बने थे। लोगों को अभी भी कुमार के कुछ निर्णय व देवेगौड़ा तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री जेएच पटेल के बीच खुले टकरावके दौरान उन्होंने विधानसभा का जिस तरह संचालन किया था, याद है। कुमार 1985 में जनता पार्टी में शामिल हो गए व 2004 में उन्होंने दोबारा कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली।
टीवी सीरियल में कर चुके हैं कार्य
कुमार को पढ़ना पसंद है, वे कला, साहित्य, टेलीविजन, सिनेमा व बौद्धिक गतिविधियों के प्रेमी हैं। 1999 में स्पीकर के रूप में विधानसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने टेलीविजन धारावाहिकों में कदम रखा। कुमार ने सुपरहिट सीरियल ‘मुक्ता’ में एक्टिंग किया, जिसका डायरेक्शन निर्देशन अनुभवी फिल्म निर्माता टीएन सीताराम ने किया था। यह सीरियल 2000 के दशक की आरंभ में ईटीवी कन्नड़ पर प्रसारित हुआ था। जज के रूप में उनकी किरदार ने कुछ ही समय में उन्हें घर-घर में पहचान दिला दी। उन्होंने कुछ व धारावाहिकों वफिल्मों में भी कार्य किया।
सिद्धारमैया के पुराने दोस्त
एक शानदार वक्ता व तर्कवादी रमेश कुमार पूर्व सीएम सिद्धारमैया के पुराने दोस्त हैं। क्योंकि वह मूल रूप से समाजवादी आंदोलन से हैं, इसलिए देश भर के कई पूर्व समाजवादी नेताओं के साथ उनके घनिष्ट पर्सनल संबंध हैं। वह देवराज उर्स को अपना गुरु मानते हैं व कहते हैं कि वह उन्हें पॉलिटिक्स में लाने के लिए उनके ऋणी हैं, भले ही वह कम संख्या वाली ब्राह्मण जाति से हैं।
रमेश कुमार कहते हैं, “मैं ब्राह्मण जाति से हूं। मेरे निर्वाचन क्षेत्र में हम माइनर कास्ट हैं। बहुमत के लोगों ने अपनी ताकतवर जाति के उम्मीदवारों को खारिज कर दिया व पिछले 40 वर्षों में छह बार मुझे चुना। मैं उनका कृतज्ञ हूं। मैं जातिगत विचारों से ऊपर हूं। सार्वजनिक ज़िंदगी को ऐसा ही होना चाहिए। ”
इसलिए बनाए गए स्पीकर
पिछली सिद्धारमैया सरकार में कुमार स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री थे। उन्होंने एक व्यक्तिगत अस्पताल को माफिया बोला था, जिसने उन्हें जनता के बीच होरो बना दिया।पिछले वर्ष मई में जेडीएस व कांग्रेस पार्टी की गठबंधन सरकार बनने के बाद रमेश कुमार को फिर से अध्यक्ष बनाया गया। गठबंधन नेताओं का दावा है कि गठबंधन की अनिश्चितताओं को ध्यान में रखकर उन्हें स्पीकर बनाया गया।
रमेश कुमार के पुराने साथी व कांग्रेस पार्टी नेता प्रफुल्ला मधुकर ने कहा, “कानून व संवैधानिक मामलों पर उनकी पकड़ वास्तव में बहुत अच्छी है। वह गरीब व ईमानदार लोगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। वह समझौता नहीं करते व कभी-कभी सख्त रहते हैं। लेकिन वह अपनी अंतरआत्मा के विरूद्ध कभी कुछ नहीं करेंगे। वह नियमों व परंपराओं का सख्ती से पालन करते हैं। ”
शानदार सेंस ऑफ ह्यूमर
रमेश कुमार अपने शानदार सेंस ऑफ ह्यूमर के लिए भी जाने जाते हैं, विधानसभा में तनाव के पलों के बीच भी वे विधायकों को हंसाते हैं। विश्वास मत प्रस्ताव पर बहस के दौरान जेडीएस विधायक केएम शिवालिंग गौड ने बागी विधायकों की तुलना चंबल के डकैतों से की तो रमेश कुमार ने बोला कि आप ऐसी तुलना करके डकैतों की बेइज्जती क्यों कर रहे हैं?