वीर सपूतों की मां. जिनके चरणों में आज इस मौका पर हर भारतवासी को नमन-वंदन करना चाहिए. ऑपरेशन विजयके दौरान कारगिल में उनके पांच सपूत भिन्न-भिन्न मोर्चों पर शत्रु से लोहा ले रहे थे. तब सारे दिन अपने टीवी व रेडियो से चिपकी रहती थीं व भगवान से हर समय हिंदुस्तान की जीत व बच्चों की सलामती की दुआ करतीं. अपने पांच लालों को दुश्मनों से लड़ते देखने व एक की वीरगति के बाद मंगेश ने छठी संतान को भी सेना में भेज दिया.
कारगिल युद्ध के 20 वर्ष बाद भी उनके दो बेटे सेना में मोर्चा संभाले हुए हैं. तीन सेवानिवृत्त हो चुके हैं. भिवानी, हरियाणा की जगत कॉलोनी में रहने वाले सिंह परिवार की बेटी हैं मंगेश देवी. उनकी ससुराल हरियाणा के साथ लगते राजस्थान के झुंझुनू जिले के गांव बनगोठड़ी में है. बनगोठड़ी में रह रहे मंगेश देवी के बेटे सूबेदार प्रताप सिंह बताते हैं, हम पांचों भाई भिन्न-भिन्न यूनिट में थे. युद्ध के दौरान मुझे दिल्ली से बुलाया गया था. मैं 105 प्रादेशिक सेना में था. मेरे चार भाईलक्ष्मण सिंह, पवन सिंह, कंवर पाल सिंह व राम अवतार सिंह भी जम्मू में तैनात थे. पांचों भाइयों ने ठान रखा था कि पाक को सबक सिखाना है. हमें तब न अपनी चिंता थी व न परिवार की, बस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने का जुनून सवार था.
प्रताप बताते हैं, इस युद्ध में भाई कंवरपाल सिंह तोतोलिंग की पहाड़ी की चढ़ाई के दौरान शत्रु का गोला गर्दन पर लगने के कारण शहीद हो गए थे. इस वीरगति से हमें दुख तो पहुंचा, लेकिन हम इससे टूटे नहीं. हमने अपने छठे भाई को भी कारगिल युद्ध के बाद सेना में भेजा. छोटा भाई अशोक सिंह अब भी 105प्रादेशिक सेना में है व ड्यूटी पर तैनात है.