लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि प्रदेश के सवा लाख निगम कर्मचारियों को लगभग डेढ़ वर्ष से मंहगाई भत्ता नहीं दिया गया, जो कि स्पष्ट रूप से इतने बड़े कर्मचारी वर्ग के साथ अनदेखी एवं अन्याय प्रतीत होता है जबकि प्रदेश का विकास और सरकार की योजनाओं को चलाने का दायित्व इन्हीं निगम कर्मचारियों के कंधे पर होता है। ऐसा लगता है कि प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों को भी वर्गो में बांटना प्रारम्भ कर दिया है।
श्री त्रिवेदी ने कहा कि सातवां वेतनमान पाने वाले कुछ विभागों में 2 प्रतिशत और 4 प्रतिशत मंहगाई भत्ते के नाम पर भुगतान हुआ है जबकि सरकार की ओर से 12 प्रतिशत मंहगाई भत्ते का भुगतान किया जाता है। ज्ञातव्य है कि राज्य निगम कर्मचारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से 7वें वेतनमान और मंहगाई भत्ते की किस्तों का भुगतान कराने की मांग की है फिर भी मुख्यमंत्री की ओर से लगातार अनदेखी की जा रही है। वास्तविकता यह है कि 36 निगमों में से 8 निगमों में केवल चौथा वेतनमान और 2 निगमों में पाचवां वेतनमान पाकर कर्मचारी अपना गुजर बसर कर रहे हैं तो दूसरी ओर 12 निगमों को छठां वेतनमान और 14 निगमों को सातवां वेतनमान भी मिल रहा है।
रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि राज्य कर्मचारियों को तो सरकार ने निगम कर्मचारियों से अलग ही कर रखा है और अब अपने इस प्रकार के व्यवहार से 36 निगमों के कर्मचारियों में भी भेद पैदा करके सरकार केवल इन वर्गो में भी फूट डालने की मंशा रख रही है ताकि कर्मचारी एकता के नाम पर फूट पड़े और प्रदेश सरकार उस फूट का पूरा लाभ उठाने में कामयाब हो सके। यदि शीघ्र ही इस सन्दर्भ में प्रदेश सरकार द्वारा प्रभावी निर्णय नहीं लिया गया तो राष्ट्रीय लोकदल निगम कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होगा।