गठिया 50 साल से अधिक आयु में होता है. आजकल कम आयु के लोगों में भी इसके मुद्दे देखने में आ रहे हैं. शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य से अधिक बनने पर वह शरीर से बाहर नहीं निकल पाता और छोटे व बड़े जोड़ों में दर्द का कारण बनता है. बढ़े हुए यूरिक एसिड से मधुमेह, दिल से जुड़े रोगों की रहती है.कारण
प्रोटीन का अच्छा से पाचन न होना, तेजी से वजन घटना, अधिक उपवास से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ना, तनाव, समय पर भोजन न करना और अनिद्रा प्रमुख वजह हैं. कब्ज, मोटापा, अव्यवस्थित दिनचर्या के अतिरिक्त जंकफूड, कोल्डड्रिंक, शराब आदि भी इस समस्या को बढ़़ाने में अहम किरदार निभाते हैं.
व्यायाम –
प्रतिदिन त्रिकोणासन, भुजंगासन, ताड़ासन, उत्तानपादासन, सूर्य नमस्कार व प्राणायाम आदि किसी प्रशिक्षक की देखरेख में
ही करें.
उपचार
अश्वगंधा : इसका 5 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ लें.
पंचकोल चूर्ण : सौंठ, पिप्पली, पिप्पलामूल, चव्य और चित्रक (सभी 100-100 ग्राम) लेकर पीस लें. कपड़े से छानने के बाद इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ लें.
दानामेथी: इसकी सब्जी, लड्डू या चूर्ण बनाकर सुबह-शाम 1-1 चम्मच सादा पानी से लें. 3-4 चम्मच दानामेथी रात को एक कप पानी में भिगोएं. प्रातः काल मसलकर पानी को छानकर पीएं.
बथुआ : इसके ताजा पत्तों का रस निकालें. प्रातः काल आधा कप पीएं. रस को पीने के एक से दो घंटे पहले व बाद में कुछ न खाएं.