शुरुआती ओवरों में विकेट निकालने की किरदार तो डेथ ओवरों में रन रोकने में महारथ। कुछ ऐसा ही है जसप्रीत बुमराह का परिचय। मगर कम ही लोग जानते हैं कि बुमराह ने यॉर्कर का एक्सरसाइज दीवार व जमीन के कोने में गेंद फेंककर किया। वो भी मां द्वारा घर में खेलना जारी रखने के लिए रखी गई शर्त का तोड़ निकालने के लिए। गुजरात के अहमदाबाद में 6 दिसंबर 1993 को जन्मे जसप्रीत बुमराह की जिंदगी सरल नहीं थी। बुमराह तब 7 वर्ष के ही थे जब उनके पिता जसबीर सिंह की हेपेटाइटिस बी के चलते मृत्यु हो गई। बेटी जुहिका व बेटे जसप्रीत की जिम्मेदारी मां दलजीत पर आ पड़ी, जो पेशे से टीचर थीं।
मां ने रख दी थी शर्त
बुमराह तब महज 12 वर्ष के थे। दोपहर का वक्त था व मां दलजीत सोने की प्रयास कर रही थीं। बाहर चिलचिलाती धूप के चलते जसप्रीत घर में दीवार पर गेंद फेंककर गेंदबाजी कर रहे थे। मां की नींद में खलल पड़ रहा था तो घर में खेलना जारी रखने के लिए एक शर्त रख दी। शर्त यह थी कि अगर बुमराह गेंदबाजी करते वक्त गेंद की आवाज धीमी रखने में पास रहे तो ही घर में खेल सकते हैं।
तब बुमराह ने सोचा कि जहां दीवार व फर्श मिलते हैं, उस हिस्से पर गेंद टकराने की आवाज बेहद कम होती है। बस फिर क्या था। बुमराह ने उसी हिस्से पर गेंद फेंकना प्रारम्भ कर दिया व इस तरह यॉर्कर गेंदों का उनका एक्सरसाइज भी प्रारम्भ हो गया। मां दलजीत खुश थीं कि अब वे चैन की नींद सो सकती थीं व बेटा जसप्रीत इसलिए फूला नहीं समा रहा था कि अब वह घर में खेलना जारी रख सकता था।
14 वर्ष की आयु में मां को बताया सपना
जल्द ही उन्हें गुजरात क्रिकेट संघ द्वारा आयोजित समर कैंप में चुना गया। फिर उसके बाद वे एमआरएफ पेस फाउंडेशन से भी जुड़े। कुछ वक्त बाद ही बुमराह राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के जोनल कैंप के लिए चुन लिए गए। यहां से उनके लिए आईपीएल में मुंबई इंडियंस का दरवाजा खुला व फिर बुमराह का नाम सभी की जुबां पर चढ़ गया।