हमारा मस्तिष्क हमारे शरीर का कमांडर इन चीफ़ होता है। यह हमारे शरीर के तक़रीबन सभी कार्यों को संचालित करने में जरूरी किरदार निभाता है। जैसे- हार्मोन्स को नियंत्रित करना, सांस लेने में मदद, मसल्स कंट्रोल, ह्रदय की गति, चिंतन और भावनाओं का नियंत्रण इत्यादि। यह कहने की जरूरत नहीं है कि इतने कार्य करनेवाले मस्तिष्क को बहुत ऊर्जा की जरूरत होती है। इसलिए हम जितनी कैलोरीज़ ग्रहण करते हैं उसका तक़रीबन 20 फ़ीसदी दिमाग़ प्रयोग करता है व उसी की मदद से दिनभर कार्य करता है। लेकिन हमारी कुछ आदतें दिमाग़ के ठीक तरी़के से कार्य करने में बाधा उत्पन्न करती हैं। तो आइए जानते हैं कि कौन-सी आदतें हमारे मस्तिष्कके लिए हानिकारक होती हैं, ताकि समय रहते हम इन्हें सुधार सकें।सुबह का नाश्ता जरूर करें
सुबह का नाश्ता सबसे जरूरी भोजन होता है। यह हमारे शरीर को दिनभर काम करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। जो लोग ब्रेकफास्ट नहीं करते, उनका ब्लड शुगर लेवल कम हो जाता है। जिसके कारण मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलते, नतीज़तन दिमाग़ ठीक तरी़के से काम नहीं कर पाता। अगर आप नाश्ता नहीं करते या बहुत देर तक भूखा रहते हैं तो आपके शरीर में ग्लूकोज़ कम हो जाता है, जो कि दिमाग़ को ऊर्जा प्रदान करने का मुख्य स्रोत है। जापान में हुए एक अध्ययन के अनुसार प्रातः काल अच्छा समय पर नाश्ता करने से स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर होने का ख़तरा बढ़ जाता है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि ब्रेकफास्ट करने से ब्लड प्रेशर में गिरावट आती है, जिससे ब्रेन हैमरेज़ का ख़तरा कम हो जाता है।
बीमारी के दौरान कार्य न करें
हमारा मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील अंग है। बीमारी के समय उस पर दबाव डालने से वो तनावग्रस्त हो जाता है, क्योंकि बीमारी के दौरान मस्तिष्क और शरीरिक क्रियाओं के बीच सम्पर्क स्थापित करनेवाले केमिकल न्यूरोट्रान्समिटर्स असंतुलित हो जाते हैं। ऐसे में दिमाग़ पर जोर डालने से हमारे सेंसेज़ धीमे पड़ जाते हैं जो मस्तिष्क पर निगेटिव असर डालते हैं। कहते हैं ना कि स्वस्थ दिमाग़ में स्वस्थ शरीर होता है, अच्छा उसी तरह स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग़ होता है। इसलिए यदि आप बीमार हैं तो अच्छा खाना खाइए और घर पर आराम कीजिए।
बहुत कम न बोलें
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग बहुत कम बात करते हैं, उन्हें ब्रेन डैमेज़ होने का ख़तरा अधिक होता है, क्योंकि ऐसा करने से ब्रेन सेल्स इनऐक्टिव होकर सिकुड़ने लगते हैं, वहीं दूसरी ओर जब हम ज्ञान युक्त बातें करते हैं तो हमारा ब्रेन स्ट्रेच होता है, जिससे उसकी ताक़त बढ़ती है। यह मस्तिष्क के विकास के लिए भी बेहद ज़रूरी है। सोचना हमारे मस्तिष्क के लिए एक तरह का व्यायाम है। हम जितना गूढ़ सोचते हैं, हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं का उतना अधिक एक्सरसाइज़ होता है। अतः किताब पढ़िए, मूवी देखिए, कहने का मतलब है कि कुछ भी करिए लेकिन अपने मस्तिष्क को ज़्यादा समय तक इनऐक्टिव मत
रहने दीजिए।
पूरी नींद लें
सोने से हमारे मस्तिष्क को आराम मिलता है। ज़्यादा दिनों तक लगातार नींद पूरी न होने पर या बहुत कम नींद मिलने पर मस्तिष्क की कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त की प्रक्रिया तेज़ हो जाती है। जिसका प्रभाव मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर पड़ता है। हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ
ऑर्गनाइज़ेशन द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, जब हम सोते हैं तो हमारा मस्तिष्क अपने यहां एकत्रित सारे विषाक्त पदार्थ निकालकर ख़ुद को साफ करता है। जब हम नहीं सोते हैं तो मस्तिष्क इस प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाता। नतीजतन मस्तिष्क की कोशिकाओं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं, फलस्वरुप कम आयु में यद्दाश्त की कमी और अल्ज़ाइमर जैसी समस्याएं होती हैं। अतः दिनभर में कम से कम आठ घंटे अवश्य सोना चाहिए।
स्पर्म काउंट बढ़ाने के घरेलू उपाय
ओवरईटिंग न करें
ज़रूरत से ज़्यादा खाने से न स़िर्फ न शारीरिक स्वास्थ्य पर निगेटिव प्रभाव पड़ता है, बल्कि मानसिक स्वस्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। जी हां, ओवरईटिंग करने से दिमाग़ की धमनियां कड़ी हो जाती हैं, जिससे मानसिक क्षमता घटती है।
वायु प्रदूषण से बचें
हमारे मस्तिष्क को शरीर के अन्य अंगों की तुलना से 10 गुना अधिक ऑक्सिजन की जरूरत होती है। हमारे मस्तिष्क में मौजूद लाखों कोशिकाएं ठीक तरी़के से काम करने के लिए ऑक्सिजन का प्रयोग करती हैं। प्रदूषित वायु पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन की आपूर्ति नहीं कर पाता है, जिससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता घटती है। बहुत-से अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि वायु प्रदूषण के कारण पार्किसन और अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियां होती हैं।
ज़्यादा शक्कर का सेवन न करें
ज़्यादा शक्कर का सेवन सेंट्रल नर्वस सिस्टम सहित हमारे शरीर के सभी अंगों के लिए हानिकारक होता है। बहुत से अध्ययनों से सिद्ध हुआ है कि ज़्यादा शक्कर खाने से अल्ज़ाइमर होने का ख़तरा बढ़ जाता है, क्योंकि रक्त में शक्कर अधिक हो जाने पर प्रोटिन्स और अन्य पौष्टिक तत्व रक्त में अवशोषित नहीं हो पाती हैं, जिससे मस्तिष्क के विकास में अवरोध पैदा होता है। अध्ययनों से सिद्ध हुआ है कि ज़्यादा शक्कर का सेवन करने से ब्रेन केमिकल का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे यद्दाश्त घटती है व हम कुछ नया सीख भी नहीं पाते।अतः अगली बार अपनी चाय में ज्यादा शक्कर डालने से पहले एक बार अवश्य सोचिएगा कि यह आपके लिए कितना हानिकारक होने कि सम्भावना है।
धूम्रपान से बचें
बहुत से अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि धूम्रपान मस्तिष्क की कॉग्निटिव क्षमता को कम कर देता है। यह याद्दाश्त को कम करता है, लर्निंग और रीज़निंग क्षमता को घटाता है। इतना ही नहीं, ध्रूमपान करने से डिमेटिया और अल्ज़ाइमर होने का ख़तरा भी बढ़ता है।