दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित का शनिवार को निधन हो गया है। वे सात दिनों से बीमार चल रही थीं। वे दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रही हैं। उनका 81 वर्ष की उम्र में निधन हुआ है। दिल्ली कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है। वे दिल्ली प्रदेश की लगातार तीन बार 1998 से लेकर 2013 तक मुख्यमंत्री रहीं।
कांग्रेस की कद्दावर नेता रहीं शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से पढ़ाई की। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से मास्टर्स ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की। शीला दीक्षित साल 1984 से 1989 तक उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सांसद भी रहीं। बतौर सांसद वह लोकसभा की एस्टिमेट्स कमिटी की हिस्सा भी रहीं। शीला दीक्षित को दिल्ली का चेहरा बदलने का श्रेय दिया जाता है, उनके कार्यकाल में दिल्ली में विभिन्न विकास कार्य हुए।
दिल्ली में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद केरल की राज्यपाल भी रहीं। इसके अलावा कांग्रेस ने यूपी विधानसभा चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर भी पेश किया था। शीला को हमेशा से गांधी-नेहरू परिवार का करीबी माना जाता था। शीला दीक्षित को समन्वयवादी राजनीति और विकास का चेहरा माना जाता रहा है। दिल्ली में मेट्रो के नेटवर्क का विस्तार हो या फिर बारापूला जैसे बड़े रोड नेटवर्क उन्हीं की देन माना जाता हैं।