पानी पीना हमारी स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. शरीर में पानी की ठीक मात्रा हाेने से यह ठीक तरह से कार्य करता है. पानी से शरीर का पाचन तंत्र व सैलाइवा यानी लार का उत्पादन करने में मदद मिलती है. वहीं, पानी शरीर के तापमान को सामान्य रखने में भी मदद करता है. यह शरीर को अच्छा से क्रिया करने में भी मदद करता है. आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि हमारा मस्तिष्क व दिल 73 फीसदी पानी का होता है व फेफड़े 83 प्रतिशत. इसके अतिरिक्त स्कीन 64 प्रतिशत, किडनी 79 फीसदी व यहां तक की हड्डियों में भी 31 फीसदी पानी होता है के लिए बहुत ही जरूरी. अाइए जानते हैं कब, कैसे, कितना पानी पीना चाहिए :-
कब पीएं पानी
ब्रह्म मुहूर्त यानी प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर 1-2 गिलास पानी पीना चाहिए. हल्के गुनगुने पानी से आंतों की क्रिया अच्छा रहती है. खड़े होकर, लेटकर या सीधे बोतल से पानी नहीं पीना चाहिए. इससे नसों व जोड़ों में दर्द होता है. खाना खाने के 30 से 45 मिनट बाद ही पानी पीना चाहिए. खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीने से बाइल जूस पानी में मिल जाता है जिससे खाना पचता नहीं है.
कितना पानी पींए
व्यक्ति को वजन के हिसाब से पानी पीना चाहिए. प्रति किलो वजन के हिसाब से 30 मिलीलीटर पानी शरीर में 24 घंटे के भीतर हर हाल में जाना चाहिए जिससे सभी अंग अच्छा से कार्य कर सकें. इससे कम पानी शरीर में जाएगा तो आदमी की शारीरिक क्रियाओं पर प्रभाव आएगा. सामान्यत: बच्चों को दिनभर में तीन से चार गिलास जबकि बड़ों को 24 घंटे में चार से पांच लीटर पानी पीना महत्वपूर्ण होता है. पानी शरीर को तर्पण देता है. इससे हृदयगति व दिमाग का संतुलन अच्छा रहता है. दिमाग में उपस्थित सेरीब्रल फ्लूड पानी ही है जिसका स्तर ठीक रहने से मस्तिष्क सुचारू काम करता है. गर्मी के मौसम में पानी की कमी से हम बीमार भी पड़ सकते हैं.
पानी की कमी के लक्षण
होंठों का सूखना व पपड़ी जमना, आंखों का भीतर की तरफ धंसना, दिल की धड़कनें तेज चलना, यूरिन में जलन व कम होना. स्कीन खींचने के बाद लटकी व उभरी हुई दिखाई देगी, चक्कर आने के साथ कमजोरी महसूस होना.
गंदा पानी पीने से होती ये तकलीफ
गंदे पानी में बैक्टीरिया, वायरस व प्रोटोजोन जैसे हानिकारक तत्त्व होते हैं. दूषित जल से डायरिया, फाइलेरिया, कोलरा, जापानी इंसेफलाइटिस, टायफॉइड, पीलिया, हैजा, उल्टी दस्त, पेट में दर्द कमजोरी व बुखार जैसी तकलीफ होती हैं. पानी कम पीने से शरीर में तरलता भी कम हो जाती है जिससे पाचनतंत्र व रक्तप्रवाह में असंतुलन की परेशानी होती है. बीपी में असंतुलन से घबराहट, मानसिक संतुलन बिगड़ जाना व बेहोशी जैसी समस्या हो सकती है. गंभीर हालात में आदमी कोमा में भी जा सकता है जो खतरनाक होने कि सम्भावना है.
पानी को ऐसे कर सकते हैं शुद्ध
पानी को पहले 15 मिनट तक उबालें. फिर ठंडा करने के बाद साफ सूती कपड़े से छान लें. पानी को साफ बर्तन में रखें. पानी निकालते वक्त उसमें हाथ नहीं लगाना चाहिए. पानी उबाल नहीं सकते तो बीस लीटर पानी में क्लोरिन की एक टैबलेट डाल दें. घुलने के बाद पानी पूरी तरह साफ हो जाएगा. एक घंटे बाद ही इस पानी का इस्तेमाल करें. पानी में लौंग, पुदीना, तुलसी पत्ता मिलाकर रखेंगे तो पानी साफ होगा. रात को तांबे के बर्तन में रखा पानी भी शुद्ध होता है जिसे पीने से बहुत ज्यादा फायदा होता है.
घर पर ऐसे बनाएं ‘ओआरएस’
ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) घोल में सोडियम, पोटैशियम, शुगर, क्लोराइड, फॉसफोरस व नमक होता है जो उल्टी दस्त में शरीर के इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस को अच्छा रखता है. एक चुटकी नमक व एक चम्मच चीनी को एक गिलास पानी में मिलाएं. इसमें दो बूंद नींबू रस डाल लें व पी लें. इससे डिहाइड्रेशन में आराम मिलेगा.