शास्त्रों में कई कहानियां हैं व कथाए भी लेकिन सभी उनके बारे में जाने यह संभव नहीं है। ऐसे में आप सभी जानते ही होंगे कि भगवान विष्णु को कमल नयन भी बोला जाता है, वैसे तो कमल नयन का अर्थ होता है कमल के समान नयन वाला, लेकिन भगवान विष्णु का नाम कमल नयन क्यों पड़ा इसके पीछे एक बहुत ही रोचक कथा है। आप सभी को आज हम इस बारे में एक पौराणिक कथा बताने जारहे हैं। आइए जानते हैं क्या है यह कथा।पौराणिक कथा-पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, दैत्यों के अत्याचार से परेशान होकर देवताओं ने भगवान विष्णु से इनका संहार करने की प्रार्थना की। भगवान विष्णु देवताओं को लेकर भगवान शिव के पास कैलाश पर्वत पर पहुंचे व शिव की स्तुति की। भगवान विष्णु ने शिव का एक-एक नाम लेकर उन्हें प्रत्येक नाम के साथ एक कमल का फूल अर्पित किया वइस तरह विष्णु ने एक हजार कमल के फूल शिवजी पर चढ़ाए। भगवान विष्णु की इम्तिहान लेने के लिए शिवजी ने इन फूलों में से एक फूल को छिपा दिया। जब भगवान विष्णु ने फूलों की गिनती की तो उन्हें इसमें एक फूल कम मिला, उन्होंने फूल बहुत ज्यादा ढूंढा लेकिन जब वो नहीं मिला तो विष्णु ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कमल के फूल की स्थान अपनी एक आंख निकालकर चढ़ाई।
कमल के फूल की स्थान अपनी आंख शिवजी को अर्पित करने की वजह से ही उन्हें कमल नयन बोला जाता है। यह देखकर शिवजी प्रसन्न हुए व उन्होंने विष्णु जी को मनोवांछित वरदान दिया। जिसकी वजह से श्री हरी विष्णु ने दैत्यों का संहार कर देवताओं को सुख प्रदान किया।