महेंद्र सिंह धोनी अपनी धारदार बैटिंग से पारी खत्म करने के लिए जाने जाते हैं। उनकी दूसरी पहचान विकेट के पीछे बिजली की गति से स्टपिंग करने, रन आउट करने को लेकर है।अपने 15 वर्षों के कॅरियर में टी-20 व एकदिवसीय क्रिकेट दोनों के आईसीसी वर्ल्ड कप जिताने वाला ये कैप्टन अपनी सूझबूझ के लिए टीम इंडिया का सबसे खास रत्न बना रहा।लेकिन ये 37 वर्षीय रत्न अब धुंधला हो रहा है। जो शख्स कभी गलत नहीं होता था, आईसीसी वर्ल्डकप 2019 में उसके साथ कुछ ठीक होता नजर नहीं आ रहा है। धोनी इन दिनों अब बैट से कमाल नहीं दिखा पा रहे हैं। मैदान पर धोनी के जिस दिमाग के लिए जाना जाता है, उनके हाथ अब उस दिमाग का साथ देते नजर नहीं आ रहे हैं। पूर्व भारतीय कैप्टन ने इस वर्ल्डकप अपनी छह पारियों में 188 रन बनाए हैं। इसमें धोनी की इंग्लैंड के विरूद्ध 31 बॉलों पर 42 रनों की नाबाद भारी भी शामिल है, जब टीम इंडिया 31 रनों से मैच पराजय गई।
50 पारियों में ऐसा दूसरी बार हुआ जब धोनी के क्रीज पर रहते हारी टीम इंडिया
धोनी के दूसरी पारी में खेलने के इतिहास में ऐसा 50 बार हुआ है, जब वे क्रीज पर उपस्थित हों। इनमें धोनी का बेहद जबर्दस्त रिकॉर्ड है। उनके रहने के दौरान इंग्लैंड मैच से पहले 49 पारियों में महज एक बार टीम इंडिया हारी थी। जबकि 47 बार जी व एक मैच बेनतीजा रहा था। लेकिन इंग्लैंड से मिली पराजय ने इस आंकड़े में 50 में दो पराजय जोड़ दिया।
विकेट कीपिंग में अपनी तेजी से पराजय रहे हैं धोनी
विकेट के पीछे से धोनी ने कई मैचों के परिणाम अकेले दम पर बदल दिए हैं। लेकिन इस विश्वकप में धोनी अपने ही प्रदर्शन को दोहरा नहीं पा रहे हैं। वे सारे टूर्नामेंट में विकेट के पीछे जूझते नजर आए हैं।
विकेट के पीछे बल्लेबाजों को आउट करने के मुद्दे में विश्वकप 2019 में धोनी तीसरे सबसे बेकार विकेट कीपरों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं। उन्होंने छह मैचों में महज दो कैच पकड़े हैं, जबकि दो बार स्टपिंग किए हैं। इस विश्वकप संसार भर के विकेट कीपरों में महज अफगानिस्तान के इकराम अलिखिल व मोहम्मद शहजाद से ही धोनी आगे हैं। विकेट के पीछे सरफराज अहमद भी धोनी से अधिक बल्लेबाजों को पैवेलियन भेज चुके हैं। इतना ही अभी तक विकेट के पीछे गेंद टपकाकर सबसे ज्यादा बाई में रन देने का रिकॉर्ड भी धोनी के नाम है।
धोनी में नहीं बची है डीआरएस लेने की क्षमता
किसी जमाने में डीआरएस, धोनी रिव्यू सिस्टम बोला जाने लगा था। ऐसा बोला जाता था कि धोनी अगर डीआरएस मांग लिया तो बैट्समैन को आउट होना ही पड़ता था। उन्होंने कई ऐसे मौके पर डीआरएस मांगा जब पूरी टीम में उनके अतिरिक्त किसी को भरोसा नहीं था कि बैट्समैन आउट है।
लेकिन हालिया उदाहरण इंग्लैंड के मैच का लें तो धोनी ने उस वक्त टीम को डीआरएस लेने में साथ नहीं दिया जब जेसन रॉय महज 20 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे व रिप्ले में साफ आउट दिखाई दे रहे थे। जबकि भारतीय टीम में डीआरएस के लिए धोनी ही आखिरी निर्णय लेते हैं।
डीआरएस लेने से पहले हमेशा कोहली उनके पास जाते हैं। इंग्लैंड से पहले पाक मैच में भी धोनी ने कोहली को एक एलबीडब्लू को लेकर रिव्यू लेने मना किया था, जबकि बाद में वे बैट्समैन साफ आउट दिखाई दे रहे थे।