कोरोना वायरस से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन से बढ़े तनाव का असर राजधानी कोलकाता के लोगों पर सबसे अधिक पड़ता दिख रहा है। यहां एक ही दिन में 7 लोगों ने फांसी लगाई है जिसमें एक 10 साल का बच्चा भी है।
बुधवार रात तक महानगर के सात अलग-अलग क्षेत्रों से 7 लोगों के सुसाइड करने की सूचना मिली है। सारे केसों में एक दस साल के बच्चे के भी फांसी लगाए जाने की बात सामने आई है। पुलिस को दस साल के बच्चे की मौत के मामले में कोई सुइसाइड नोट नहीं मिला है इसलिए पुलिस मनोवैज्ञानिक से भी संपर्क करेगी।
पहली आत्महत्या बैष्णवघाट के रहने वाले 57 साल के नरेश साहा ने की। नरेश गरियाहाट में कपड़े के हॉकर थे। उनके ऊपर बहुत सा कर्ज था जिसके कारण वह परेशान रहते थे। लॉकडाउन के कारण उनकी परेशानी और बढ़ गई थी। इसी कारण उन्होंने फांसी लगा ली। पुलिस को हैरान कर देने वाली आत्महत्या दस साल के बच्चे सनी मंडल की है।
ढाकुरिया स्टेशन रोड की एक बिल्डिंग में बच्चे की मां काम करती है। जब वह छह साल का था वह तब से वहीं रहकर काम कर रही हैं। दोपहर को दो बजे सनी छत पर कपड़े उठाने गया था। जब वह काफी देर तक नहीं लौटा तो घरवालों ने उसकी तलाश शुरू की। नहीं मिलने पर पुलिस को सूचना दी गई।
पुलिस और स्थानीय लोगों ने पाया कि सी का शव बालकनी की खिड़की से लटक रहा था। पुलिस ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि यह सिर्फ घटना है या बच्चे ने जानबूझकर फांसी लगाई। फिलहाल वे लोग मनोवैज्ञानिक से संपर्क कर रहे हैं। इसी तरह मच्छीपाड़ा में 19 साल के युवक तोतन दास की लाश फांसी के फंदे से लटकते मिली। 19 साल का दूसरा युवक रोहित गुप्ता मोर ऐवेन्यू का रहने वाला था। उसने गमछे से फांसी का फंदा लगाकर जान दे दी। उनके माता पिता बॉम्बे में रहते हैं। वह कोलकाता में अकेला रह रहा था।
पुलिस ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान शायद अकेले घर में रहने के कारण वह तनाव में था और इसलिए आत्महत्या कर ली। इसी तरह से हाजरा रोड के रहने वाले मोहन बंदोपाध्याय (40) और नकुल मंडल (70) ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बेलियाघाट में 30 साल के एक शख्स ने फांसी लगाई। पुलिस इन सभी वारदातों की जांच में जुट गई है। फॉरेंसिक टीम की मदद से नमूने संग्रह किया जाए हैं और आसपास के लोगों से पूछताछ की जा रही है। एक ही दिन में 7 लोगों की खुदकुशी ने प्रशासन को सकते में डाल दिया है। मनोवैज्ञानिकों की टीम भी इसकी वजह पता करने में जुटी हुई है।