जीवन
निज जीवन में मैंने कई खेल देखें हैं
कुछ सच्चे तो कुछ झूठे देखें हैं
हर सपना बेरंग हो चला था
कई पल बीत चुके देखें हैं
निज जीवन…
गीतों में अपने गूंथता था
अपने हंसी-रुदन का हार
पल-पल को संजोता था
बना के अपने भविष्य का संसार
भविष्य बनाने में हमने
कई ठोकरें झेलें हैंनिज जीवन…
बेबसी न थी,न लाचारी थी
न हाथ में हथौड़ा,न खुरपी
न ही कुदाल थमाई थी
सुकोमल हाथों में मेरे
कलम ही पकड़ाई थी
बड़ा हुआ तो मालूम पड़ा
बेरोजगारी ही कड़वी सच्चाई थी
सब अपने पेट भर रहे
भ्रष्टाचारी देश में समायी थी
भ्रष्टाचारियों से भरे वतन में
कई भूखे-बेरोजगार देखे हैंनिज जीवन…
खुशहाल सभी हों,खुशहाली लायी जाये
उन छोटे बच्चों के बचपन को
टुकड़ों के लिए मोहताज न रखा जाये
स्वार्थ से अपने परे हो देखो
किसी का जीवन न नरक बन जाये
मानवता को जिन्दा रखने खातिर
मानव तो बनकर देखो
अगर न कर पाए ये सब तो
बुरे कर्मों के फल को
तुम जैसे भुगतते देखें हैंनिज जीवन…
बहुत हो चुके खेल तुम्हारे
झूठे हैं अधिकार तुम्हारे
बहुत सह लिया हमने
अब न और सहेंगे
आंसुओं से लिख देंगें
तकदीर तुम्हारी
नया संविधान रचेंगें
अपना हक,हक से लेंगें
भविष्य को संवारेंगे
पूरा हुआ न वादा अगर
तो कई सरकारें बदल के देखें हैं
वरना लोगों के इतिहास बदलते देखें हैं
निज जीवन में मैंने कई खेल देखें हैंलव विवेक मौर्या उर्फ़ हेमू
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