किसी देश का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि जिस देश के कण-कण में प्रभु राम वास करते हो और जहां गांधी जैसे महात्मा गांधी, अनेको अनेक संत पुरूष और तमाम बड़े नेतागण पुनः राम राज की कल्पना को साकार होते देखना चाहते हों, वहां आजादी के बाद से आज तक कोई भी प्रधानमंत्री अयोध्या जाकर प्रभु राम की जन्मस्थली पर नमन करने की हिम्मत नहीं जुटा सका। प्रभु राम के प्रति हमारे प्रधानमंत्रियों का उपेक्षापूर्ण भाव यह बताने के लिए काफी है कि हमारे नेताओं की कथनी और करनी में कितना बड़ा अंतर होता है। सत्ता सुख के लिए कई नेताओं ने रामलला को ‘अछूत’ मान लिया था।
इसमें नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी से लेकर मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव,मायावती अखिलेश यादव आदि प्रमुख हैं। यूपी में मुलायम सिंह और बिहार में लालू प्रसाद यादव की तो पूरी की पूरी सियासत ही राम विरोध और राम भक्तों के उत्पीड़न पर टिकी हुई थी।इस अंतर को मिटा कर कल यानी पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब अयोध्या में भगवान रामलला के दर्शन करने के साथ उनके मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे तो वह देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन जाएंगे जिसने राम लला के दर्शन किए होंगे। ऐसा इस लिए हो रहा है कि पीएम मोदी अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह थोथली और सतही सियासत नहीं करते हैं।
आज भी हालात यह है कि विपक्ष हिन्दू वोट बैंक नाराज न हो जाए इस मंदिर निर्माण का खुलकर विरोध तो नहीं कर पा रहा है,लेकिन उसके मन से मुस्लिम तुष्टिकरण की सियासत दूर होने का नाम नहीं ले रही है। इसलिए इन नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद आदि संगठनों पर छिटाकशी करके अपने मन की भड़ास निकाली जा रही है।दरअसल, मुस्लिम तुष्टिकरण की सियासत के चलते कांग्रेस सहित प्रधानमंत्री रामलला दरबार में जाने से कतराते रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब कल भगवान राम की जन्मभूमि पर बनने वाले श्री राम के भव्य मंदिर के लिए भूमि पूजन करेंगे तो वह भगवान राम लला के दर्शन करने वाले पहले प्रधानमंत्री होने का रिकार्ड भी अपने नाम दर्ज करा लेंगे। बतौर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी का अयोध्या आना तो हुआ, पर रामलला के दर्शन का कार्यक्रम नहीं बना।
इंदिरा और राजीव तो इस लिए राम लला के दर्शन करने नहीं गए क्योंकि उन्हें मुस्लिम वोट बैंक का नुकसान होता दिखता था,लेकिन अटल जी की दूसरी मजबूरी थी,वह गठबंधन की सरकार चला रहे थे और उनके कुछ सहयोगी नहीं चाहते थे कि अटल जी रामलला के दर्शन करें।बहरहाल, मोदी पांच अगस्त को प्रधानमंत्री रहते न केवल रामलला का दर्शन-पूजन करेंगे, बल्कि जन्मभूमि पर राम मंदिर की आधारशिला भी रखेंगे। वैसे मोदी का राम लला के दरबार में आने का यह पहला मौका नही है। प्रधानमंत्री बनने के पहले भी मोदी ने रामलला का दर्शन किया था। जनवरी, 1992 में वह तत्कालीन भाजपाध्यक्ष डॉ.मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या आए थे और उनके साथ रामलला का दर्शन-पूजन किया था।