स्ट्रीट डॉग को अपनाने वाले लोगों की प्रवृत्ति बढ़ रही है और कुछ अन्य लोगों के बीच यह एक सकारात्मक प्रवृत्ति है। वही दूसरी तरफ लोग कुत्तों की विदेशी नस्लें खरीद रहे हैं और उन्हें सड़कों पर मरने के लिए छोड़ रहे हैं। इंटरनेशनल डॉग डे के अवसर पर सभी इंडियन स्ट्रीट डॉग्स को सम्मानित करने के लिए ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल (इंडिया) ने अपने वालंटियर्स और कम्युनिटी मेंबर्स की कुछ डॉग एडॉप्शन स्टोरीज शेयर की,जहां लोगों ने कुत्तो को अपने घर में रहने की जगह दी है।
ब्राउनी, जिसने हमेशा के लिए अपना घर पा लिया
लखनऊ में एक छोटा पिल्ला, ब्राउनी को एचएसआई/इंडिया द्वारा बचाया गया था और फिर उसे एक परिवार द्वारा अपनाया गया। एचएसआई/इंडिया की टीम ने पाया कि ब्राउनी का पहला परिवार उसकी उचित देखभाल नहीं कर रहा था और वे उसे पर्याप्त भोजन और पानी की सुविधा भी नहीं दे पा रहे थे। एचएसआई/इंडिया ने अपने कम्युनिटी इंगेजमेंट प्रोग्राम, “अभय संकल्प” और स्वयंसेवक कोमल पांडे के माध्यम से मामले को समझा और अन्य लोगो से उसे अडॉप्ट करने कि अपील की। लखनऊ के राम पाल ने पिल्लै को अपनाने में रुचि व्यक्त की। अगले दिन, टीम और कोमल ने गोद लेने की प्रक्रिया पूरी की और राम लाल के परिवार को पिल्ला सौंप दिया। ब्राउनी कुछ महीनों से राम पाल के परिवार का सदस्य है और उसे वहां भरपूर प्यार मिल रहा है। राम लाल ने एक फॉलो अप बैठक के दौरान कहा, “भले ही ब्राउनी एक स्ट्रीट डॉग है, लेकिन उसके साथ हमारा एक खास रिस्ता बन गया है। वह हमसे प्यार करता है और हमारे साथ खेलता है, हम उसे कभी भी खुद से दूर नहीं जाने देंगे।”
चाहे शुद्ध नस्ल का कुत्ता हो या गली का कुत्ता, वे आपके सबसे अच्छे दोस्त बन सकते हैं और साथ ही एक बेहतरीन पालतू जानवर भी हो सकते हैं। हाल ही में लखनऊ की रहने वाली, वायलेट बली अपने पालतू लैब्राडोर के गुजर जाने के बाद एक नए पालतू जानवर को गोद लेने की तलाश में थीं। अपने समुदाय के स्वयंसेवकों की मदद से एचएसआई/इंडिया की टीम ने वायलेट को सड़कों से एक पिल्ला अपनाने में मदद की। उसने उसे शैडो नाम दिया है। गोद लेने की प्रक्रिया के बाद वायलेट का कहना है, “मेरी बेटी और मैं, हमारे परिवार में नए सदस्य के लिए खुश हैं। शैडो ने हमारे घर की एक खाली जगह भर दी है और हम उसे वह सारा प्यार देंगे जो हम अपने पहले पालतू जानवर को देते थे।”
आप उन्हें सुरक्षित घर दे रहे हैं
घर एक स्ट्रीट डॉग के लिए सुरक्षित स्थान हो सकता है, बशर्ते उसपर कोई बंदिश ना हो। देश में लॉकडाउन के दौरान एचएसआई/इंडिया कि स्वयंसेवक सोनल तडवी ने एक पालतू कुत्ता ज़िली को अपनाया जिसे उसके मालिकों ने छोड़ दिया था। सोनल ने देखा कि उसके मालिक वैश्विक महामारी के कारण अपने गांव वापस जा रहे थे और वे अपने उस पालतू जानवर को भी साथ नहीं ले जा पा रहे थे। सोनल ने इस उम्मीद में लंबा इंतजार किया कि मालिक वापस आ जाएंगे लेकिन सब व्यर्थ था। ज़िली पर अन्य कुत्तों द्वारा हमला किया जा रहा था और सड़क पर उसे काफी दिक्क्त हो रही थी। सोनल उसके बचाव में आगे आई और उसे अपने जीवन का एक हिस्सा बनाया।
उन्हें सड़कों पर से घर ले आना
कुत्ते को सड़कों पर से अपने घर लेना पहला कदम है, इसके बाद जिम्मेदारी यहीं ख़त्म नहीं होती। पालतू जानवर को कुत्ते को टीका लगाना और उसकी नसबंदी कराना भी बेहद जरुरी है।
देहरादून की रहने वाली ममता एक फीमेल स्ट्रीट डॉग की दुर्दशा की गवाह बनी। वो लगातार आसपास के क्षेत्र में नर कुत्तों द्वारा गर्भवती की जा रही थी और उसके पिल्ले अक्सर दुर्घटनाओं के कारण दर्दनाक मौत मर रहे थे। इसी वजह कुत्ते को एचएसआई/इंडिया की ABC केंद्र में नसबंदी के लिए लाया गया। केंद्र में रहते हुए, और टीम के साथ बात करने के बाद, ममता ने कुत्ते को अपने घर का सदस्य बनाने का फैसला लिया और उसे अपना लिया। इस वक़्त “काली”, ममता के साथ खुश और स्वस्थ है।
स्ट्रीट डॉग को गोद लेना एक बेहतर जीवन देने का एक तरीका है। इस प्रकार की दयालु इंसानों के अलावा भारत में लाखों लोग जानवरो की देखभाल करने वाले हैं, जो हर दिन सड़क पर रहने वाले जानवरों की देखभाल करते हैं और हमें इन लोगो को निस्वार्थ और आदरपूर्ण स्वीकार करना चाहिए।