इस वक्त कोरोना के कहर से पूरी दुनिया त्राही-त्राही कर रही है। छोटे बड़े तमाम मुल्क कोरोना से जूझ रहे हैं। मौत के इस खतरनाक वायरस से हर तरफ हाहाकार मचा है। इस महामारी से विश्व में करीब 10 लाख लोगों की जान चली गई है। लेकिन अमेरिकी भाषाविद और राजनीतिक विश्लेषक नोआम चॉम्स्की ने जो दावा किया हैं, वह अपने आप में चौंकाने वाला है। उन्होंने दावा किया है कि कोरोना निश्चित ही एक महामारी है, लेकिन यह आने वाले दो प्रमुख संकटों की तुलना में बहुत छोटा है।
सूत्रों के मुताबिक DIEM-25 टीवी से बात करते हुए चॉम्स्की ने कहा कि कोरोना के कारण लोगों को कई गंभीर समस्याएं हो रही हैं, लेकिन परमाणु युद्ध और ग्लोबल वार्मिंग 2 सबसे बड़े संकट हैं जो मानव सभ्यता के विनाश का कारण बनेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से राजनीतिक और आर्थिक स्थिति है, ये दो संकट दूर नहीं हैं।
जानकारी के अनुसार, TV पर श्रीको होवार्ट से बात करते हुए चॉम्स्की बोले कि ट्रम्प प्रशासन के दौरान कोरोना सत्ता में आया था, इसलिए यह एक बड़ा खतरा माना जा रहा है। कोरोना भयानक है और परिणाम भयानक होगा, लेकिन हम इससे बाहर निकल जाएंगे। जबकि हम इन दो संकटों से बाहर नहीं निकल सकते। अमेरिका की बढ़ती ताकत विनाश का कारण बनेगी।
डाउन टू अर्थ पत्रिका के साथ एक साक्षात्कार में चॉम्स्की ने बताया कि क्यूबा यूरोप की मदद कर रहा था। लेकिन जर्मनी ग्रीस की मदद के लिए तैयार नहीं है। आपको लगता है कि आप किस तरह की दुनिया चाहते हैं। धनवान देश कोरोना वैक्सीन बना सकते थे, लेकिन दवा कंपनियों ने बॉडी क्रीम बनाना ज्यादा फायदेमंद समझा। उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने अक्टूबर 2019 में संभावित कोरोना वायरस की आशंका जताई थी, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया।
91 वर्षीय नोआम चॉम्स्की ने आरोप लगाया कि जर्मनी में एक विश्वसनीय अस्पताल प्रणाली थी, लेकिन इसका उपयोग केवल अपने हित में किया। सबसे बुरा रवैया अमेरिका और ब्रिटेन में था, जिसने किसी भी देश की मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया। कोरोना ने समाज की खामियों को उजागर किया है।