दिल्ली में प्रदूषण की वजह से हवा में जहर भरना शुरू हो गया है. हाल के दिनों में पीएम2.5 कणों की मात्रा तेजी से बढ़ी है जिसके चलते स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें होने की संभावना है. विशेषज्ञों के अनुसार लोगों को कम से कम दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए.
अनुमान है कि धुंध और प्रदूषण के साथ मिलकर कोरोना वायरस और भी खतरनाक होने वाला है. ऐसी खराब हवा में बहुत ज्यादा बाहर रहने पर फेफड़ों, सांस से जुड़ी बीमारियां गिरफ्त में ले सकती हैं.
दिल्ली की हवा कितनी खराब है कि इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शुक्रवार सुबह दिल्ली का एक्यूआई 342 था, जबकि मुंबई का सिर्फ 67 था. देश के दो महानगरों में हवा की क्वालिटी में इतना अंतर साफ बताता है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण से हालात बेहद भयावह हो सकते हैं.
हालात ये हैं कि दिल्ली एनसीआर में 15 अक्टूबर से प्रदूषण की इमरजेंसी लागू हो गई है जिसे जीआरएपी यानि ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान का नाम दिया गया है. जीआरएपी लागू होने के पहले दिन ही दिल्ली के विवेक विहार इलाके में एयर क्वालिटी इंडेक्स 370 दर्ज हुआ जो बेहद खराब स्थिति है. वहीं आईटीओ पर 285, आरके पुरम में 243, आनंद विहार में 259 एक्यूआई दर्ज किया गया. एक्शन प्लान के तहत एनसीआर में डीजल जेनरेटर पर पाबंदी लगा दी गई है.
पूर्वानुमान के अनुसार शुक्रवार को भी सुधार की कोई संभावना नहीं है. हवाओं की गति काफी धीमी है, जिसकी वजह से प्रदूषण के लेवल में शुक्रवार तक भी कोई राहत नहीं मिलेगी. 17 अक्टूबर को मामूली राहत मिलने की संभावना जरूर है, लेकिन यह खराब से बेहद खराब श्रेणी में ही बना रहेगा.
वहीं हरियाणा, पंजाब और आसपास के जिलों में पराली जलाने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जानकारी के अनुसार 14 अक्टूबर को 740 जगहों पर पराली जलाई गई है. यह इस सीजन का सर्वाधिक होने के साथ पिछले दो सालों के इस मुकाबले की तुलना में दोगुना है. हालांकि हवाओं की वजह से पराली राजधानी के प्रदूषण को अब भी 6 प्रतिशत प्रभावित कर रही है. आने वाले समय में यह बढ़ सकता है.
वहीं दूसरी तरफ राजधानी दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण स्तर को देखते हुए केंद्र सरकार भी एक्टिव हो गई है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में निरीक्षण के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 50 टीम तैनात की जाएंगी.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में खराब वातावरण में पराली जलने की हिस्सेदारी सिर्फ 4 प्रतिशत है. बाकी धूल, निर्माण और जलने जैसे स्थानीय कारणों की वजह से प्रदूषण होता है. दिल्ली में सर्दी के दिनों में प्रदूषण की स्थिति हमेशा गंभीर होती है. पंजाब में पिछले साल से ज्यादा पराली जल रही है. केंद्र सरकार ने इतनी अधिक मशीन दी हैं. पंजाब सरकार को ध्यान चाहिए कि वहां पराली ज्यादा नहीं जले.