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सीएमएस द्वारा आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का 21वाँ चार-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ सम्पन्न

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा ऑनलाइन आयोजित किये जा रहे ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का 21वाँ चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ आज सम्पन्न हो गया।विभिन्न देशों के प्रख्यात न्यायविदों, कानूनविदों व अन्य गणमान्य हस्तियों ने एक स्वर से कहा कि वह दिन अब दूर नहीं है जब विश्व की एक सरकार बनेगी और भावी पीढ़ी को ‘स्वच्छ वातावरण, शान्तिपूर्ण विश्व व्यवस्था एवं सुरक्षित भविष्य’ का अधिकार मिलेगा। इससे पहले, इस ऐतिहासिक सम्मेलन के चौथे व अन्तिम दिन प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, प्रो. बलराज चैहान, वाइस-चांसलर, धर्मशास्त्र नेशनल लाॅ यूनिवर्सिटी, जबलपुर मध्य प्रदेश, प्रो. आलोक कुमार राय, वाइस चांसलर, लखनऊ विश्वविद्यालय एवं प्रो. सुबीर के. भटनागर, वाइस चांसलर, डा. राम मनोहर लोहिया नेशनल लाॅ यूनिवर्सिटी, लखनऊ ने अपने विचारों से विश्व एकता एवं विश्व सरकार का पुरजोर समर्थन किया।

इसके अलावा, सम्मेलन के चौथे दिन आज वर्चुअल प्रजेन्टेशन के माध्यम से फिलीपीन्स के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिलेरियो डेविड जूनियर को ‘महात्मा गाँधी अवार्ड’ एवं इजिप्ट के सुप्रीम काॅन्स्टीट्यूशनल कोर्ट के डेप्युटी चीफ जस्टिस न्यायूर्ति आदेल ओमर शेरीफ को ‘होप ऑफ ह्यूमैनिटी अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। सम्मेलन में आज के मुख्य अतिथि केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि विश्व एकता आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। एकता से ही सम्पूर्ण मानव जाति का कल्याण संभव है, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है।

इस अवसर पर सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गाँधी ने चार दिन चली परिचर्चा का निचोड़ प्रस्तुत करते हुए कहा कि लगभग सभी मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाशीशों व कानूनविदों की आम राय रही कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(सी) विश्व की समस्याओं का एक मात्र समाधान है। भारतीय संविधान विश्व के अकेला ऐसा संविधान है जो पूरे विश्व को एकता के सूत्र में जोड़ने की बात कहता है।

सम्मेलन के अन्तिम दिन बोलते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने कहा कि सी.एम.एस. द्वारा आयोजित इस सम्मेलन के माध्यम से विश्व की तमाम समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा। इस सम्मेलन के माध्यम से सीएमएस ने हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए वो विरासत छोड़कर जाने का अवसर प्रदान किया है, जिसे वे हमेशा संजों कर रखेंगे।

मुख्य अतिथि प्रो. बलराज चैहान, वाइस-चांसलर, धर्मशास्त्र नेशनल लाॅ यूनिवर्सिटी, जबलपुर मध्य प्रदेश, ने कहा कि यदि हमें विश्व के अस्तित्व को बचाना है तो बच्चों एवं आगे आने वाली पीढ़ियों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा और इसके लिए एक योग्य नेतृत्व भी होना चाहिए। फिली आइसलैण्ड के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति कमल कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि वैश्विक शासन का सिद्धान्त कोई नया विचार नहीं है। हम 13वीं या 14वीं सदी से ही इसकी बात करते आ रहे हैं। कोविड समस्या ने इस विचार को हमारे समक्ष फिर दोहराया है कि मानव मात्र को शान्ति व भाईचारे के माहौल में रहने की आवश्यकता है और इसके लिए हमें अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना होगा।

सी एमएसप्रेसीडेन्ट एवं मैनेजिंग डायरेक्टर प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व संसद में नामांकित सदस्यों के बजाय निर्वाचित सदस्य विभिन्न देशों से होने चाहिए। इनकी संख्या एक फार्मूले के अनुसार विभिन्न कारणों को ध्यान में रखते हुए होनी चाहिए जैसे जनसंख्या, प्रति व्यक्ति आय, स्वास्थ्य का स्तर, शैक्षिक स्तर आदि। आज सम्पन्न हुई परिचर्चा में क्रोएशिया के पूर्व राष्ट्रपति स्टीपन मेसिक, हैती के पूर्व राष्ट्रपति जोसलर्मे प्रिवर्ट, सेन्ट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक के नेशनल असेम्बली के अध्यक्ष मोउसा लारेन्ट नगान बाबा, इण्टरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट, नीदरलैण्ड के न्यायमूर्ति एन्टोनी केसुआ-एमबीई मिन्डुआ, इस्वातिनी के मुख्य न्यायमूर्ति भेकी मफालाला, मोजाम्बिक के डेप्युटी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति जाओ एन्टोनियो बाइरो, बोस्निया एवं हर्जेगोविना के न्यायाधीश मिर्साद स्ट्राइका, इटली सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश फ्रैन्सिस्का बुफा, स्लोवेनिया के काॅस्टीट्यूशनल कोर्ट के न्यायाधीश जैन जोबेक, किर्गिस्तान ने एडमिनिस्ट्रटिव कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूति मेलिस टागेव, फिलीपीन्स के एटार्नी एल लाॅ इस्माइल जी खान एवं एन्टोनियो ओप्सा समेत देश-विदेश के अनेक न्यायविदों व कानूनविदों ने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये।

सीएमएस के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि इस चार दिवसीय ऐतिहासिक सम्मेलन में विभिन्न देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद के अध्यक्ष, न्यायमंत्री, संसद सदस्य, इण्टरनेशनल कोर्ट के न्यायाधीश एवं विश्व प्रसिद्ध शान्ति संगठनों के प्रमुख समेत 63 देशों के मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों व कानूनविदों ने कोराना महामारी के उपरान्त एक नई विश्व व्यवस्था पर अपने विचार रखे। आज यह सम्मेलन सम्पन्न हो गया परन्तु निश्चित ही दुनिया भर के न्यायविदों,
कानूनविदों व अन्य प्रबुद्ध हस्तियों का यह सामूहिक प्रयास अवश्य रंग लायेगा और हमारी आने वाली पीढ़ियों सुरक्षित व सुखमय वातावरण में सांस ले पायेंगी।

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