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ट्रैक्टर रैली में इतनी हिंसा, टूटे सब नियम, इन तस्वीरों पर शर्मिंदा होंगे किसान!

किसानों की मांगें हैं, आक्रोश है तो क्या शहर को मलबे में तब्दील करने की इजाजत दे दी जाए। ट्रैक्टर रैली के नाम पर कुछ भी तबाह करने पर मौन रहा जाए। प्रदर्शन उपद्रव में बदल रहा है, किसान जवानों को कुचल रहा है। तिरंगे झंडे को आसमान तक बुलंद करने वाली लाठी खाकीवालों को मारते-मारते तोड़ी जा रही है। किसान ट्रैक्टर रैली के नाम पर हंगामा मचा रहा है। सुरक्षा व्यवस्था में मुस्तैद जवान किसानों से मिला जख्म दिखा रहा है। हंगामा करते हुए किसान लालकिले में दाखिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने यहां लालकिले पर अपना झंडा फहरा दिया। ट्रैक्टर की छतों पर खड़े इन किसानों को क्या ऐसी भी इजाजत दी गई थी।

क्या सिंघु बॉर्डर पर इसी की प्लानिंग इतने दिनों से चल रही थी। सवाल यह है कि देश की राजधानी दिल्ली में यह कौन की नई इबारत जोड़ी जा रही है। सवाल यह है कि आप किसको तबाह कर रहे हैं। क्या यह सरकार ने कमाया है। यह जितना भी बर्बाद किया है आपने यह पूरे देश ने तिल-तिलकर जुटाया है। बैरिकेडिंग तोड़ी जा रही हैं। क्या यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन है। प्रदर्शनकारियों के हमले की वजह से कई पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी घायल हुए हैं।

यह हंगामा अभी किसान नेताओं को नजर नहीं आ रहा है। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) प्रवक्ता राकेश टिकैत कहते हैं, ‘रैली शांतिपूर्ण चल रही है। मुझे हिंसा की घटनाओं के बारे में जानकारी नहीं है। हम गाजीपुर में हैं और यहां से ट्रैफिक को छोड़ा जा रहा है।’

आईटीओ पर किसानों की शर्मनाक हरकत, पुलिसवालों को ट्रैक्टर लेकर दौड़ाया

दिल्ली पुलिस मुख्यालय के सामने रखे बैरिकेड्स को किसानों ने ट्रैक्टर से तोड़ दिया। मध्य दिल्ली में बैरिकेड तोड़ने के साथ ही पुलिस वाहनों को भी किसानों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। आईटीओ में कुछ प्रदर्शनकारी एक पुलिसकर्मी को निर्ममता से पीट रहे थे।

इस बीच एक हिस्से ने उस पुलिसकर्मी को बचाया भी। ट्रैक्टर पर बैठे प्रदर्शनकारी ने पुलिसकर्मियों पर गाड़ी चढ़ाकर उन्हें रौंदने की कोशिश की। आईटीओ में खड़ी सरकारी बसों में तोड़फोड़ की गई। यही नहीं, आईटीओ में ही डीटीसी बस को पलटने का प्रयास हुआ। घोड़े पर बैठे निहंगों ने बैरिकेडिंग तोड़ दिया। इस प्रदर्शन ने किसानों के बेशकीमती ताज पर एक नायाब ‘काला’ अध्याय जोड़ा है। यह सबकुछ हो रहा है लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि सब शांतिपूर्ण चल रहा है।

लाल किले पर फहराया गया अलग झंडा

हर साल स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से राष्‍ट्रध्‍वज फहराते हैं। इस ऐतिहासिक इमारत की उसी प्राचीर पर गणतंत्र दिवस के दिन कोई और झंडा फहर रहा था। वजह यह थी कि कुछ प्रदर्शनकारी किसान सरकार को संदेश देना चाहते थे। ट्रैक्‍टर रैली में पर्याप्‍त हुड़दंग मचाने के बाद जब किसानों का जत्‍था लाल किले पहुंचा तो मानों यहां बवाल चरम पर पहुंच गया। कुछ उपद्रवी लाल किले की प्राचीर पर चढ़ गए।

ठीक उसी जगह अपना झंडा फहरा दिया जहां हर साल तिरंगा फहराया जाता है। ये वही जगह है जहां खड़े होकर हर साल प्रधानमंत्री राष्‍ट्र के नाम संदेश देते हैं। संदेश तो आज भी दिया गया है, मगर यह संदेश किसी लिहाज से ठीक नहीं है। इस ऐतिहासिक स्मारक के कुछ गुंबदों पर भी झंडे लगा दिए।

कुछ किसानों की इस हरकत की हो रही आलोचना

लाल किले की प्राचीर पर कोई और झंडा फहरता देख लोग हैरान रह गए। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट किया है,
“सबसे दुर्भाग्‍यपूर्ण। मैंने शुरुआत से किसानों के प्रदर्शन का समर्थन किया है लेकिन मैं अराजकता की अनदेखी नहीं कर सकता। गणतंत्र दिवस के दिन कोई और झंडा नहीं, केवल तिरंगा ही लाल किले पर फहरना चाहिए।”

कांग्रेस के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍त जयवीर शेरगिल ने भी यही बात कही। बीजेपी नेता रमेश नायडू ने लिखा, “दिल्‍ली की सीमाओं से शुरू हुई भीड़ ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़े, तलवारें लहराईं। यहां तक कि हमारे सुरक्षा बलों के प्रतिरोध के बावजूद लाल किले तक पहुंच गए।”

हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी में पैदल और ट्रैक्टर पर सवार होकर घुस गए हैं। अर्धसैनिक बलों और दिल्ली पुलिस को उन्हें नियंत्रित करने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। ट्रैक्टर रैली और प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और हल्के लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने तीन राज्यों दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों और पुलिस के साथ समझौते को दरकिनार कर दिया है।

ट्रैक्‍टर परेड निकालने के लिए जो रूट और समय तय किए गए थे, किसान उसे दरकिनार कर समय से पहले टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर लगे बैरीकेड को तोड़ते हुए राष्ट्रीय राजधानी की सीमा में प्रवेश कर गए। आईटीओ के पास पहुंचे किसानों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले भी दागे गए। सिंघु बॉर्डर से जो ट्रैक्टर रैली में किसानों की जो टुकड़ी चली थी वह भीतरी रिंग रोड की तरफ बढ़ गई और गाजीपुर बॉर्डर वाली टुकड़ी आईटीओ की तरफ बढ़ गई।

संयुक्त किसान मोर्चा ने हिंसा से किया किनारा

किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा ने बेकाबू हुई ट्रैक्टर रैली में हिंसा से किनारा कर लिया है। नेताओं का कहना है कि जिन किसान संगठनों के लोग हिंसा पर उतर आए हैं और लाल किला परिसर में दाखिल हुए हैं, उनसे उनका कोई लेना-देना नहीं है। ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मौला का कहना है कि कुछ संगठनों ने ट्रैक्टर रैली में घुसकर किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की है। ऑल इंडिया किसान सभा के पंजाब में जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनावाल का कहना है कि जो लोग लाल किला पहुंचे हैं, वे संयुक्त किसान मोर्चा के लोग नहीं हैं। पंजाब के ही किसान नेता और किसान बचाओ मोर्चा के अध्यक्ष कृपा सिंह ने कहा कि उत्पात मचाने वालों से उनका कोई संबंध नहीं है।

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