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रामायण में विज्ञान व अध्यात्म

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

भगवान श्री राम के प्रति जन आस्था को शब्दों में व्यक्त करना सरल नहीं है। यह कार्य भी प्रभु की कृपा से ही संभव होता है। महर्षि बाल्मीक गोस्वामी तुलसी दास जैसी विभूतियों ने राम कथा को सहज रूप में जन जन तक पहुंचाया। हजारों वर्षों बाद भी प्रभु श्री राम से संबंधित सभी स्थल प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में है। आस्था के धरातल पर इनका अनुभव किया जा सकता है।

यह सभी आध्यात्मिक चेतना के स्थल है। अयोध्या जी श्री राम लला विराजमान की अनुभूति है,इसके बाद उनके वन गमन मार्ग राम सेतु निर्माण लंका विजय पुष्पक विमान से अयोध्या वापसी,श्री राम दरबार आदि केवल कल्पना के विषय नहीं है। लेकिन इनको समझने के लिए आध्यात्म व विज्ञान दोनों का धरातल चाहिए। श्री राम सेतु कल्पना नहीं,प्राचीन भारत के विज्ञान का चमत्कार है। जिसे नासा जैसी संस्थाए भी स्वीकार कर चुकी है। पुष्पक विमान के प्रतीक अनेक स्थलों की खुदाई में मिलते रहे है।

इस सन्दर्भ में मुख्यमंत्री ने संत गाडगे सभागार में रामायण विश्व महाकोश ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ द रामायण की कर्टेन रेजर पुस्तक के विमोचन एवं कार्यशाला के उद्घाटन किया। इसका आयोजन प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा किया गया है। कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने रामायण विश्व महाकोश की कर्टेन रेजर पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक को ई-बुक के रूप में भी लॉन्च किया गया।

योगी आदित्यनाथ ने पुष्पक विमान रामसेतु सहित रामायण के अनेक प्रसंगों का उल्लेख किया। कहा कि रामायण में विज्ञान एवं अध्यात्म का समन्वय है। रामायण की सभी घटनाओं में भगवान श्रीराम ने स्वयं को मानवीय मर्यादाओं में ही रखा है,यही उनकी महानता थी। वह एक सामान्य मनुष्य को होने वाले कष्टों को सहन करते हुए आगे बढ़े। रामायण विश्व महाकोश हमें विज्ञान और अध्यात्म के अनछुए पहलुओं से परिचित करायेगा।

राम कथा की व्यापकता

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर से दक्षिण तक वर्तमान भारत की सीमाएं आज भी वैसी ही हैं, जैसी रामायण काल में थीं। इसका श्रेय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को जाता है। भगवान श्रीराम ने सांस्कृति रूप से आर्यावर्त और द्रविड़ एकता का कार्य किया। रामायण संस्कृति का विस्तार पूर्व और पश्चिम में भी था। दक्षिण पूर्व एशिया के निवासी भगवान श्रीराम पर गौरव की अनुभूति करते हैं।

इण्डोनेशिया में उपासना विधियां अलग होने के बावजूद भगवान श्रीराम को पूर्वज मानते हैं। पश्चिम में तक्षशिला का नाम,भगवान श्रीराम के भाई भरत के पुत्र तक्ष के नाम पर है। रामायण विश्व महाकोश,रामायण के विश्वव्यापी स्वरूप को प्रस्तुत करने का माध्यम बनेगा।

समृद्ध सांस्कृतिक विरासत

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भगवान श्रीराम की परम्परा के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर स्थापित किया जाना चाहिए। इस कार्य में सभी भाषाओं, लोक परम्पराओं, लोककथाओं में भगवान श्रीराम के सम्बन्ध में उपलब्ध सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम की संस्कृति पहली संस्कृति है,जिसने वैश्विक मंच पर अपना स्थान बनाया।

दुनिया में बढ़ी भारत की प्रतिष्ठा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है। उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन में यूनिक इवेंट के रूप में प्रयागराज कुम्भ-2019 के स्वच्छ, सुरक्षित व सुव्यवस्थित आयोजन से भारत की वैश्विक छवि बेहतर हुई। यूनेस्को ने कुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी। प्रधानमंत्री के प्रयास से इक्कीस जून पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। योग भारत के आध्यात्मिक उन्नति की आधारशिला है।

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