Breaking News

जानें कैसे IAF अधिकारी हुआ HoneyTrap का शिकार

इंड‍ियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन को ख़ुफ़िया दस्तोवेजों को लीक करने के आरोप में अरेस्‍ट किया गया है। कसी सैन्य कर्मी के हनीट्रैप HoneyTrap का शिकार होने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पहले 2015 में एक एयरमैन भी हनीट्रैप का श‍िकार हो चुका है।

अरुण कैसे बना शिकार

दिल्ली एयरफोर्स में तैनात ग्रुप कैप्टन अरुण मारवाह (51) ने हनीट्रैप के शिकार जाल में फंसकर दुश्‍मन देश को गोपनीय दस्तावेज उपलब्ध करवा दिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें एयरफोर्स अधिकारी अरुण मारवाह मह‍िलाओं की खूबसूरती के दीवाने होकर किरन रंधावा और महिमा पटेल नाम के दो फेसबुक अकाउंट के संपर्क में आए।

इन एकाउंट को ISI के एजेंट चला रहे थे। उक्त दोनों महिलाओ की खूबसूरती के दीवाने अरुण ने धीरे धीरे करके देश की सुरक्षा से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों की जानकारी भी उनको बता दी।

कैसे बनते हैं शिकार

अलग अलग देशों में कुछ महिलाओं को इस तरह की जासूसी करने के बाकायदा अच्छी सैलरी पर रखा जाता है। ये महिलाये अपनी खूबसूरती को ढाल बनाकर पहले तो सेना से जुड़े किसी व्यक्ति के करीब अति हैं और फिर उसे दोस्ती करके धीरे धीरे देश से जुड़ी जानकारी एकत्र कर अपने आकाओं को पहुँचाने लगती हैं।

वैसे तो हनीट्रैप का इस्तेमाल बहुत पहले से किया जाता रहा है लेकिन हाल ही में पाकिस्तान ने इसे अपना अहम हथियार बनाते हुए भारतीय सेना के अधिकारीयों के ऊपर इस्तमाल करते हुए उन्हें हनीट्रैप का शिकार बनाना शुरू कर दिया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी मोबाइल गेमिंग, टॉप गन, एमपीजंकी, वीडेजंगी और टॉकिंग फ्रोग जैसी म्यूजिकल ऐप्लीकेशन और मोबाइल गेमिंग के जरिये अक्सर भारत की जासूसी करता रहता रहती है।

एयरमैन भी बन चुका हनीट्रैप का शिकार

साल 2015 में एयरमैन रंजीत भी अरेस्‍ट किया जा चुका है। रंजीत को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा, सैन्य खुफिया विभाग और वायुसेना यूनिट के संयुक्त ऑपरेशन में पकड़ा गया था। तब फेसबुक से चैटिंग के जरिए दोस्त बनी दामिनी नाम की पाकिस्तानी महिला एजेंट रंजीत से मलड़ाकू विमानों की सूचना और उनकी संख्या के बारे में जानकारी हासिल कर लिया था।

 

About Samar Saleel

Check Also

‘दोषसिद्धि नैतिक नहीं, साक्ष्य आधारित ही हो सकती है’, अदालत ने अपहरण-हत्या केस में रणदीप सिंह को बरी किया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी मामले में नैतिक दोषसिद्धि नहीं हो सकती। अदालतें केवल ...