लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि राजधानी सहित प्रदेश के विभिन्न जनपदों में कोरोना संक्रमण, व्हाइट और ब्लैक फंगस का प्रकोप थम नहीं रहा है, आवश्यक दवाओं, इंजेक्शन और वैक्सीन का टोटा चल रहा है। मुख्यमंत्री की टीम-9 और टीम-11 का अतापता नहीं है। खुद बिगड़ते हालात पर निगहबानी करके उन्हें सुधारने में समय देने के बजाय मुख्यमंत्री मैराथन दौरे पर हैं जिनका औचित्य क्या हो सकता है सिवाय सरकारी संसाधनों और समय के दुरुपयोग के? वे व्यवस्था में सुधार के लिए नहीं राजनीतिक रणनीति साधने के लिए दौरे कर रहे हैं। वही रटी-रटाई बातें यहां-वहां दुहराने के अलावा सार्थक तो कुछ दिखता नहीं।
भाजपा सरकार के लिए अब समय ही कितना बचा है? मुख्यमंत्री जी को बताना चाहिए कि जब अब तक 35 लाख ही वैक्सीन की दूसरी डोज लगी है तो दीवाली तक सबके टीकाकरण के दावों का क्या होगा? अब तो वैक्सीन की कमी की भी रिपोर्टें आने लगी है। बड़ी संख्या में नौजवान, बुजुर्ग अस्पतालों में जाते हैं और निराश लौट जाते हैं। पीएचसी केंद्रो की दुर्दशा देखकर भी यह सरकार अनदेखा कर रही है। कोविड सेंटरों में अगली तैयारी की दिशा में संसाधनों की कमी दूर करने के लिए क्या हो रहा है? राजधानी में ही जीवन रक्षक इंजेक्शन की कालाबाजारी है, सरकार अपने अस्पतालों में ही उन्हें उपलब्ध नहीं करा पा रही है।
सच तो यह है भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश को बीमारू प्रदेश बना दिया है। गांवो में हालात चिंतनीय है। जांच और दवा दोनों का अकाल है। वहां बुखार की सामान्य दवा पैरासिटामाल तक उपलब्ध नहीं हो रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में दुर्दशा है। अपने शासन काल के चार वर्षो में भाजपा सरकार ने स्वास्थ्य ढांचे को बर्बाद करने के सिवाय कुछ नही किया। अगर भाजपा सरकार समाजवादी सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था को ही बनाए रखती तो ये बुरे दिन देखने को नहीं मिलते।
राजधानी के ही अंतर्गत चिनहट के अमराई गांव में 50 लोगों की मौत हो गई। इनमें डा. हरीराम यादव सहित इनके परिवार की चार मौतें भी शामिल। यहां भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका है। जनपद हापुड़ के गांव दौताई गढ़मुक्तेश्वर में 35 लोगों की मौत हो गई। फतेहपुर के ललौली गांव में 100 लोगों की जाने चली गई, सरकार ने संज्ञान तक नहीं लिया।
मुख्यमंत्री यह बात समझ लें कि जब उनकी सरकार ने कोई काम ही नही किया है तो उनके दौरों से पीड़ितों को कौन सुविधा मिल जाएगी? हां, उनके दौरो से संक्रमितों की सेवा में लगे चिकित्सकों और दूसरे स्वास्थ्य कर्मियों को उनकी हाजिरी में लग जाने से परेशान जरूर होना पड़ता है। जनता सब समझ चुकी है। भाजपा की चालों से अब लोग बहकने-भटकने वाले नहीं हैं। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों में उसे तनिक भी राजनीतिक स्वार्थ साधने वाला नहीं है। 2022 में समाजवादी सरकार बनने पर ही स्वास्थ्य सेवाएं पुनः बहाल होगी।