औरैया। आज बिधूना तहसील ग्राम इकघरा की बेटी उर्वशी दीक्षित, जब देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार फ्लोरेंस नाइटेंगिल से सम्मानित होने के बाद अपने पैतृक गांव पहुंची तो ग्राम वासियों के चेहरों पर खुशी की लहर और उत्साह देखने लायक थी। ऐसा लग रहा था मानो ग्राम इकघरा में दीपावली का उत्सव दो महीने पहले ही आ गया हो।
उर्वशी दीक्षित को 15 सितंबर को लखनऊ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा देश के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित किया गया था। आज जब वह 41 वर्ष बाद अपने ग्राम इकघरा पहुंची तो ग्राम वासियों ने उनका स्वागत बहुत गर्मजोशी से किया। चारों तरफ ग्राम वासियों के चेहरे पर खुशियां और उत्साह झलक रहा था, मानो कि गांव में आज कोई त्यौहार हो ऐसा लग राहा था। जैसे दो महीने पूर्व ही दिवाली मनाई जा रही हो कोई नाच रहा था तो कोई शेरो शायरी व कविता पाठ कर रहा था और कुछ बुजुर्ग तो नुक्कड़ चौराहे पर चर्चा कर रहे थे अरे यह तो अपनी लली है कभी यहां वहां खेला करती थी अरे इसे तो हमने पेड़ पर झूला झुलाया है।
ग्राम वासियों ने एक स्वागत समारोह का भी आयोजन किया था, जिसमें अधिक संख्या में ग्रामीण महिलाएं बुजुर्ग व बच्चों कि सहभागता थी। कार्यक्रम का संचालन रानू दिक्षित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज हम चाहेंगे कि हमारी बुआ जी अपने गांव अपने आंगन अपनी चौपाल में अपनों के बीच दो शब्द कहें इसके पश्चात जब उर्वशी दिक्षित अपने विचार रखने के लिए खड़ी हुई तो वह इतनी भावुक हो गई कि वह अपने आंसुओं को रोक ना पाई और उनका गला रूध गया।
उन्होंने कहा आज हम जो कुछ हैं वह आप सभी की वजह से हैं क्योंकि अगर आप लोगों ने हम पर भरोसा ना किया होता तो हमें कभी सेवा करने का मौका ना मिला होता आपका विश्वास था कि हम अपनी बुआ, भतीजी, दीदी, बहन के पास जाएंगे तो हमारी मदद हो जाएगी और आप अगर हमारे पास आए ना होते तो हम किस की मदद करते। हम आप लोगों की प्रेरणा से ही आज हम इस स्तर पर पहुंचे हैं, वरना हम भी इसी माटी में खेले हैं, इसी माटी में पले हैं, हम इससे ज्यादा और कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। आप लोगों का जो प्यार स्नेह आज मुझे मिला है वह कभी जीवन पर्यंत भुला न पाएंगे जब तक मेरे शरीर में सांसे हैं। मैं निरंतर आपकी सेवा में तत्पर रहूंगी और मेरा यही सौभाग्य होगा। मैं आप सभी को हृदय की गहराइयों से प्रणाम वंदन करती हूं और निवेदन करती हूं समय रहते हमारा सदैव मार्गदर्शन करते रहें।
इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए राजीव गुप्ता ने पुष्प गुच्छ भेंट देकर कहा आज हमारी बहन ने हमारे गांव का नाम ही नहीं बल्कि एक एक व्यक्ति का नाम रोशन कर दिया है और मैं बड़े गर्व के साथ कहता हूं कि मैं उस गुरु का शिष्य हूं जिसके घर में उर्वशी जैसी बेटी ने जन्म लिया। गांव के वर्तमान प्रधान प्रकाश दिवाकर व उनकी धर्मपत्नी के साथ आई सैकड़ों ग्रामीण महिलाओं ने गांव की मुख्य सड़क पर ही माल्यार्पण कर गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।
इस अवसर पर प्रकाश दिवाकर ने कहा मैं सर्वप्रथम स्वर्गीय पंडित राधेश्याम ठूठ जी का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने बड़े कठिन समय में अपनी बेटी को शिक्षा दीक्षा दी और समाज का विरोध भी बर्दाश्त किया। क्योंकि उस जमाने में जब बेटियों को घर के बाहर निकलने की अनुमति भी नहीं होती थी तब आदरणीय पंडित जी ने अपनी बेटी को पढ़ा कर कानपुर ट्रेनिंग के लिए भेजा और उन की ऊची सोच ने आज पूरे गांव का नाम उनकी बेटी के द्वारा स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया। मैं समस्त ग्रामीण वासियों से कहता हूं कि वह अपने बच्चों को शिक्षा दीक्षा दें जिससे कि आने वाला कल हर बच्चे का उज्जवल भविष्य हो।
इस अवसर पर रानू पांडे, दीपक दीक्षित, दिनेश दीक्षित, ज्योतिष शाक्य, उर्मिला शाक्य, चोली शाक्य, छुमी दिवाकर, हरिओम कठेरिया, अतेंद्र दीक्षित, मोहन लाल जाटव, प्रमोद प्रकाश दीक्षित, अमोद प्रकाश दीक्षित, संतोष तिवारी, रामकुमार शाक्य, सुमित्रा दीक्षित, मेघा तिवारी, कामिनी बाथम, सत्तो कठेरिया सैकड़ों ग्रामवासी आदि मौजूद रहे।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर