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प्रार्थना सभा की आड़ में मतांतरण की साजिश, 50 हिरासत में

चंगाई के नाम पर पिछले पांच सालों से चल रहा था खेल

मऊ। जनपद के शहर कोतवाली अंतर्गत सहादतपुरा मुहल्ले में रोडवेज के पीछे एक घर में पिछले पांच वर्षों से प्रार्थना सभा एवं चंगाई के नाम पर मतांतरण की साजिश का पर्दाफाश हुआ है। रविवार को हिंदू जागरण मंच के पदाधिकारियों की सक्रियता ने इसे बेनकाब कर दिया। सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने प्रार्थना सभा में शामिल पास्टर अब्राहम सहित मकान मालिक समेत लगभग 50 की संख्या में महिलाओं व पुरुषों को हिरासत में ले लिया है। फ़िलहाल पुलिस हिरासत में लिए गए लोगों कोतवाली लाकर उनसे पूछताछ कर रही है।

ज्ञातव्य हो, सहादतपुरा स्थित विजेंद्र राजभर के मकान में पास्टर अब्राहम लगभग पांच-छह वर्ष से प्रार्थना सभा आयोजित कर रहे थे। धीरे-धीरे जब लोगों की संख्या यहां बढ़ने लगी तो ये बात जंगल की आग की तरह हिंदू संगठनों तक जा पहुंची। पड़ताल करने पर हिंदू जागरण मंच के जिला प्रभारी भानु प्रताप सिंह ने बताया कि यहां लोगों की बीमारियां दूर करने के लिए सिर्फ प्रार्थना नहीं, बल्कि धर्मांतरण की साजिश रची जा रही थी। धीरे-धीरे विभिन्न गांवों एवं कस्बे से आए कम पढ़े-लिखे लोगों काे मानसिक रूप से भ्रमित कर उन्हें ईसाई मिशनरी से जुड़े लोग ईसाई धर्म में आस्था एवं विश्वास रखने के लिए प्रेरित करते थे।

सीओ धनंजय मिश्र ने बताया कि धर्म परिवर्तन कराने की सूचना पर मौके से कई लोगों को हिरासत में लिया गया है। पूछताछ की जा रही है। पकड़ में आए कुछ लोग ईसाई मिशनरी से संबंधित हैं,बाकि के कुछ लोग महज तमाशाई हैं। बतौर सीओ, यदि धर्मांतरण की बात प्रमाणित हुई तो आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। वहीं पास्टर अब्राहम का कहना था कि वहां किसी को जबरन नहीं बुलाया जाता था। लोग अपनी मर्जी से आते हैं, जिनकी बीमारी दूर करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जाती है।

इसे पूरे मामले में स्थानीय कोतवाली पुलिस की भूमिका संदिग्ध दिखी। कोतवाली प्रभारी के सीयूजी नंबर 9454403965 पर कॉल करके पूछने पर उन्होंने जो जवाब दिया, उसे महज इत्तेफाक समझा जाये या फिर उनकी चालाकी। उन्होंने फोन करके पूछने पर बताया कि अभी उनके पास जानकारी नहीं है, मौके पर आपके मीडिया साथी मौजूद हैं उनसे जानकारी ले सकते हैं!

धर्मांतरण में विदेशी फंडिंग

एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार के मुताबिक, 2 जून को ऐसे ही एक मामले में विपुल विजयवर्गीय और काशिफ को डासना के एक मंदिर से गिरफ्तार किया था। जिनसे पूछताछ में धर्म परिवर्तन के कथित रैकेट का खुलासा हुआ। एडीजी प्रशांत कुमार के मुताबिक पिछले एक साल में 350 लोगों का धर्मांतरण किया गया है। वहीं, अब तक 1000 से ज्यादा लोगों का धर्मांतरण किया जा चुका है। आरोप है कि यह दोनों गरीबों को पैसे का लालच देने का काम करते थे। पुलिस का दावा है कि दोनों आरोपी ‘इस्लामिक दावा सेंटर’ नाम से एक केंद्र चलाते थे, जिसे दुनिया भर से फंडिंग मिलती थी। पुलिस उन लोगों को भी ट्रैक कर रही है जो इस रैकेट में फंस गए थे और यह समझने के लिए आगे की जांच कर रही है कि उन्होंने लोगों को कैसे प्रभावित किया।

धर्म और भारतीय संविधान

उत्तर प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, केरल और राजस्थान में भी इस तरह से धर्म परिवर्तन कराया गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 और 28 में देश के हर नागरिक को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। अनुच्छेद 25 के मुताबिक, सभी नागरिकों को अपनी पसंद के धर्म को मानने, उसका पालन करने और धर्म के प्रचार की आजादी है। लेकिन, प्रचार के अधिकार में किसी अन्य व्यक्ति के धर्मांतरण का अधिकार शामिल नहीं है। अनुच्छेद 26 सभी धार्मिक संप्रदायों और संगठनों को नैतिकता के आधार पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने और संस्थाएं बनाने का अधिकार देता है।

राज्यों के कानून और सजा

देश के 9 राज्यों में धर्मांतरण को लेकर कानून लाया जा चुका है। ओडिशा में यह कानून सबसे पहले लाया गया था। ओडिशा में 1967 में यह कानून लागू किया गया था। ओडिशा (1967) में क़ानून के उल्लंघन पर एक साल की सज़ा 5000 रूपये जुर्माना/एससी-एसटी मामले में दो साल सज़ा,10 हज़ार जुर्माना। मध्य प्रदेश में (1968) क़ानून के उल्लंघन पर एक साल की सज़ा 5000 रूपये जुर्माना/एससी-एसटी मामले में दो साल सज़ा,10 हज़ार जुर्माना। अरुणाचल प्रदेश में (1978) क़ानून के उल्लंघन पर दो साल की सज़ा 10000 रूपये जुर्माना/एससी-एसटी मामले में दो साल सज़ा,10 हज़ार जुर्माना। छत्तीसगढ़ में (2006) क़ानून के उल्लंघन पर तीन साल की सज़ा 20000 रूपये जुर्माना/एससी-एसटी मामले में चार साल सज़ा, 20 हज़ार जुर्माना। गुजरात में (2003) क़ानून के उल्लंघन पर तीन साल की सज़ा 50000 रूपये जुर्माना/एससी-एसटी मामले में चार साल सज़ा व एक लाख रूपये जुर्माना। हिमाचल प्रदेश में (2019) क़ानून के उल्लंघन पर 1-5 साल तक की सज़ा/एससी-एसटी मामले में 2-7 साल तक की सज़ा।

झारखंड में (2017) क़ानून के उल्लंघन पर तीन साल की सज़ा 50000 रूपये जुर्माना/एससी-एसटी मामले में चार साल सज़ा व एक लाख रूपये जुर्माना। उत्तराखंड में (2018) क़ानून के उल्लंघन पर 1-5 साल तक की सज़ा/एससी-एसटी मामले में 2-7 साल तक की सज़ा। वहीं यूपी में (2020) क़ानून के उल्लंघन पर 1-5 साल तक की सज़ा, 15 हज़ार या उससे ज़्यादा का जुर्माना/एससी-एसटी मामले में 2 से 10 साल तक की सज़ा व 25 हज़ार या उससे ज़्यादा के जुर्माना का प्रावधान है।

   Anupam Chauhan

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