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बनी रहे प्रतिरोधक क्षमता, घर-घर पुष्टाहार पहुंचाएंगी कार्यकर्ता

● कोविड प्रोटोकॉल के तहत लाभार्थियों तक सुविधाएं पहुंचाएंगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

● नवजात, कुपोषित बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं और छह माह के बच्चों पर विशेष ध्यान

औरैया।कोविड संक्रमण बढ़ने के कारण आंगनबाड़ी केन्द्र बंद हैं। इस वजह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका और अहम हो गई है। नवजात, कुपोषित बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं और छह माह के बच्चों पर विशेष ध्यान देते हुए सरकार द्वारा नए निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके मुताबिक गृह भ्रमण के दौरान अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पांच कार्यों पर प्राथमिकता से ध्यान देंगी। इसमें नवजात, कुपोषित व सैम एवं मैम बच्चों, पहले त्रैमास की गर्भवती व धात्री महिलाओं और छह माह के बच्चों को चिन्हित कर उन्हें योजनाओं का लाभ देना शामिल है। शासन के निर्देश पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं/सहायिकाओं को लाभार्थियों के घर तक पुष्टाहार पहुँचाने के निर्देश दिए गये हैं।

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी शरद अवस्थी ने बताया जिले में आंगनबाड़ी केन्द्र बंद है लेकिन सेवाएं चालू हैं । अनुपूरक आहार, परामर्श सेवाएं, वृद्धि निगरानी, आयरन की गोलियों का वितरण और संदर्भन आवश्यक सेवाएं हैं, जो गृह भ्रमण कर जारी रखनी हैं। नवजात शिशु, अति कुपोषित बच्चों, सैम या मैम बच्चों और गर्भवती के आपदा में संक्रमित होने की आशंका अधिक होती है।

इसलिए उनका विशेष तौर पर ध्यान रखना आवश्यक है। ऐसे परिवारों से संपर्क करते समय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को नाक और मुंह कवर करते हुए मास्क पहनना है और हाथों को साबुन पानी अथवा सेनेटाइजर से समय-समय पर साफ करना है। अगर गृह भ्रमण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को गर्भवती, धात्री, बच्चों या परिवार के किसी सदस्य में कोविड के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो इसकी सूचना उन्हें स्वास्थ्य विभाग को तत्काल देनी है।

स्तनपान का देंगे संदेश देंगी आंगनबाड़ी

डीपीओ ने बताया नवजात के घर गृह आधारित देखभाल और स्तनपान प्रोत्साहन की सेवा देनी है। लाभार्थी को बताना है कि मां का दूध बच्चे का सबसे बड़ा पोषण है और इसमें कोविड के उपस्थित रहने का कोई साक्ष्य नहीं है। इसलिए स्तनपान को कोविड के दौरान भी सावधानी के साथ जारी रखना है। यदि मां में कोविड के लक्षण हैं तो वह कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मॉस्क लगा कर बच्चे को स्तनपान कराएंगी। अगर स्तनपान कराने में सक्षम नहीं हैं तो कटोरी चम्मच से दूध निकालते हुए बच्चे को पिला सकती हैं। जिन घरों में अति कुपोषित, सैम, मैम बच्चे हैं वहां गृह आधारित देखभाल, वृद्धि निगरानी और आवश्यकतानुसार संदर्भन की सेवा देनी है। ऐसे स्थानों पर अनुपूरक पोषाहार के समुचित प्रयोग और उससे पौष्टिक व्यंजन बनाने की विधि बतानी है ।

गर्भवती को बताई जाएगी पौष्टिक भोजन बनाने की विधि

डीपीओ ने बताया पहले त्रैमास की गर्भवती को गर्भावस्था में शीघ्र पंजीकरण, गर्भावस्था व धात्री महिला की अवस्था में उचित खानपान जैसे नींबू, संतरा, गाजर, ज्वार, बाजरा और दूध आदि के सेवन की सलाह देंगी। उन्हें अनुपूरक आहार से पौष्टिक भोजन बनाने की विधि बताई जाएगी। उन्हें यह भी बताया जाएगा कि कम से कम 180 आयरन की गोली और 360 कैल्शियम की गोली लेनी है। छह माह की उम्र पूरी कर चुके बच्चों के अभिभावकों को पूरक आहार का महत्व बताया जाएगा और पोषाहार से पौष्टिक भोजन बनाने की विधि भी बतायी जाएगी। जिससे कोरोना काल में भी नवजात, कुपोषित बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं और छह माह के बच्चों स्वस्थ रखा जा सके।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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