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‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ : CMS राजाजीपुरम में बच्चों ने दिखाया रंगारंग कार्यक्रम

इन रंगारंग प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों ने विश्व एकता और विश्व शान्ति का जयघोष बड़े ही प्रभावशाली ढंग से किया। ‘वर्ल्ड पार्लियामेन्ट’ की प्रभावशाली प्रस्तुति से अन्तर्राष्ट्रीय न्यायिक व्यवस्था की स्थापना के लिए ”विश्व संसद“ बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

  • Published by-@MrAnshulGaurav
  • Thursday, March 24, 2022

लखनऊ। सी.एम.एस. कानपुर रोड कैम्पस और राजाजीपुरम (प्रथम कैम्पस) की ओर से  ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ का भव्य आयोजन आज सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में किया गया। समारोह का शुभारम्भ विश्व शान्ति एवं ईश्वरीय एकता का सन्देश देती ‘सर्व-धर्म एवं विश्व शान्ति प्रार्थना’ से हुआ, जिसके माध्यम से विद्यालय के छात्रों ने सभी के हृदयों को प्रभु प्रेम से सराबोर कर दिया।

इन रंगारंग प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों ने विश्व एकता व विश्व शान्ति का जयघोष बड़े ही प्रभावशाली ढंग से किया तथापि ‘वर्ल्ड पार्लियामेन्ट’ की प्रभावशाली प्रस्तुति से अन्तर्राष्ट्रीय न्यायिक व्यवस्था की स्थापना हेतु ”विश्व संसद“ बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस अवसर पर सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गाँधी ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में सर्वोच्चता अर्जित करने वाले छात्रों व वार्षिक परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को पुरस्कृत कर सम्मानित किया। जबकि राजाजीपुरम (प्रथम कैम्पस) द्वारा प्राइमरी सेक्शन के नन्हें-मुन्हों छात्रों को सार्वजनिक तौर पर सम्मानित किया गया।

 

अपने अभूतपूर्व सम्मान से छात्र गद्गद् नजर आये जबकि अभिभावकों ने जोरदार तालियाँ बजाकर छात्रों की प्रतिभा को सराहा।इस अवसर पर अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि बच्चों में चारित्रिक गुणों को विकसित करने की सर्वश्रेष्ठ अवस्था बचपन ही है, अतः बचपन में ही सुदृढ़ नींव रखी जानी चाहिए।

कार्यक्रम के अंत मे सी.एम.एस. राजाजीपुरम (प्रथम कैम्पस) की वरिष्ठ प्रधानाचार्या निशा पाण्डेय ने अपने संबोधन में कहा कि सी.एम.एस. एक अलग तरह का स्कूल है जो बच्चों को अन्दर से मजबूत और बाहर से आकर्षक बनाता है जबकि सी.एम.एस. कानपुर रोड कैम्पस की वरिष्ठ प्रधानाचार्या डा. विनीता कामरान ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षा का तात्पर्य मात्र किताबी ज्ञान प्रदान करना ही नहीं है अपितु भावी पीढ़ी को ऐसे विचार प्रदान करने की आवश्यकता है कि वे मानवता के उत्थान व विकास में अपनी रचनात्मक ऊर्जा का सदुपयोग कर सकें।

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