पुरातत्व के जानकारों के अनुसार 16 वीं ईसवी के औरंगजेब समय के है सिक्के।
सहायल क्षेत्र में मौर्य वंश से मुगलकाल तक के मिलते हैं अवशेष।
औरैया। जिले के सहायल क्षेत्र में शुक्रवार को खेत की खुदाई के दौरान एक दर्जन सोन व चांदी के पुरातन सिक्के मिले हैं जिनमें अरबी भाषा लिखी हुई है। फिलहाल यह सिक्के मजिस्ट्रेट की कस्टडी में रखवा दिए गये है। पुरातत्व के जानकारों ने इन सिक्कों को बेश कीमती बताते हुए कहा कि औरंगजेब ने अपने पांचवे बेटे कम्बख्श के नाम से बनवाया गया था और यह औरंगाबाद की टकसाल में बना था, हालांकि यह पूर्ण चलन में नहीं आ सका। जिले के सहायल क्षेत्र में मौर्य वंश से लेकर मुगलकाल तक के अवशेष मिलते हैं।
जानकारी के अनुसार सहायल क्षेत्र के गांव बादशाहपुर छौंक निवासी दीपू पाल के घर में भराई करने के लिए मकान से सटे खेत पर खुदाई कर रहा था तभी अचानक फावड़ा किसी चीज से टकराया तो दीपू ने देखा तो कुछ पीली धातु व चांदी के सिक्के बरामद हुए। जिससे वहां पर अफरातफरी मच गयी, जानकारी होते ही चौकीदार ने इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने दीपू से पीली (सोने) धातु दस व सफेद (चांदी) धातु के दो सिक्के बरामद किए।
ग्रामीणों में चर्चा है यह सिक्के आस पास काफी दिनों से निकल रहे है। पुलिस फिलहाल उच्चाधिकारियों को सूचना देकर पुरातत्व विभाग से जांच कराने की बात कह रही है। इधर पुरातत्व व इतिहास के जानकारों का कहना है कि औरंगजेब ने 1605 ई में ऐसे सिक्को को औरंगाबाद की टकसाल में वनावाया था। यह उनके पांचवे बेटे कम्बख्श के नाम पर था और शुद्ध सोने के सिक्के पर अरबी भाषा का प्रयोग हुआ है। बताते हैं कि औरंगजेब ने जब मंदिरों को तहस नहस किया था तो वह हरदोई कन्नौज होते हुए यहां आया था। सहायल क्षेत्र में प्रतिहार वंश कालीन भी कई मंदिर थे, जिन्हें मोहम्मद गोरी के बाद औरंगजेब ने नष्ट किया था और यहीं खेरे में ठिकाना भी बनाया था। यहां से होते हुए औरंगजेब कानपुर देहात के बानीपारा गया था जहां शिव मंदिर में बर्ररो ने औरंगजेब की सेना को खदेड़ दिया था और सेना फतेहपुर गंगा नदी किनारे निकल गई थी। कयास है कि यह सिक्के उसी समय के है जो अब खुदाई में निकले है।
उधर सिक्के निकलने पर ग्रामीणों की भीड़ भी जमा रही और आसपास गांव के लोग भी मौजूद रहे। खजाना निकलने की चर्चा भी पूरे दिन रही। अप्रिय घटना न घटे इसके लिए पुलिस भी तैनात कर दी गई है। क्षेत्राधिकारी सुरेंद्र नाथ यादव ने बताया कि सिक्के जमा करके अन्य सिक्कों की भी तलाश की जा रही है। सुरक्षा के लिए गांव में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। पुरातत्व विभाग को सूचना देकर पहचान कराई जाएगी।
पुरातत्व विभाग लखनऊ के सहायक निदेशक नरसिंह का कहना है कि सिक्कों में अरबी भाषा का प्रयोग मुगलकाल में ही हुआ है। इस तरह का सिक्का बैंगलोर के प्रमुख न्यूमिज़माटिक नीलामी घर मरुधर आर्ट्स में भी है। धातु अगर सोना है तो फिर यह औरंगजेब कालीन दुर्लभ सिक्का है।
पहले भी निकल चुकीं हैं सूर्य मूर्ति और कौड़ियां:- सहायल क्षेत्र में गांव धुपकरी में दो साल पहले सूर्य प्रतिमा खुदाई में निकली थी। प्रशासन की लापरवाही रही तो गांव वालों ने खुद उसे संरक्षित कर लिया है और उसकी पूजा कर रहे है। इधर जीवा सिरसानी में बीते साल एक खेरे में काफी कौड़िया निकली थी। कौड़ी शेरशाह सूरी के शासन काल से प्राचीन भारतीय मुद्रा हुआ करती थी।
मोहम्मद गोरी मंदिरो को तहस नहस कर चुका:- कन्नौज राजा जयचंद और मोहम्मद गोरी से युद्ध के बाद। गोरी कन्नौज से मंदिरो को तहस नहस कर देवकली औरैया तक पहुंचा था। साहयल में कई मंदिर व खेरे नष्ट किये थे। सेहुद में बर्ररो ने गोरी की सेना को खदेड़ दिया था।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर