इस आयोजन में लखनऊ के उभरते युवा लेखक, अमित तिवारी एवं नव लेखिका आकांक्षा गुप्ता की नई प्रस्तुतियों का विमोचन किया गया।
- Published by- @MrAnshulGaurav
- Sunday, May 15, 2022
लखनऊ। गोमती नगर विस्तार फायरसाइड क्रिएटर लैब्स में, रविवार को, बोधरस प्रकाशन की ओर से प्रकाशित बुक लॉन्च एंड रीडिंग कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन में लखनऊ के उभरते युवा लेखक, अमित तिवारी एवं नव लेखिका आकांक्षा गुप्ता की नई प्रस्तुतियों का विमोचन किया गया।
आकांक्षा के हौंसले को सलाम-
आकांक्षा गुप्ता की पहली पुस्तक का शीर्षक यथार्थ नाम से है, जिसे काफी सराहा गया। आकांक्षा 90% प्रतिशत दिव्यांग हैं। यह किताब इनके प्रेरणा पूर्ण जीवन से उभरी कहानियों पर आधारित है।
‘माया मरी न मन मरा’ – अमित की तीसरी किताब
अमित तिवारी एक जाने माने लेखक हैं और इनकी दो किताबें पहले ही छप चुकी हैं। इनकी तीसरी किताब माया मरी न मन मरा का विमोचन एवं पाठन किया गया। यह पुस्तक जीवन एवं समाज के अवलोकन पर आधारित है और जन-मानस को गहराई से सोचने एवं समझने के लिए प्रेरित करती है।
अच्छी से अच्छी किताबें पाठकों के बीच पहुंचनी चाहिए- अमित तिवारी
बोधरस प्रकाशन गुणवत्ता पूर्ण किताबों के प्रकाशन के लिए प्रतिबद्ध है। इसके संस्थापक अमित तिवारी का कहना है कि अच्छी से अच्छी किताबें पाठकों के बीच पहुंचनी चाहिए एवं ऑनलाइन उपलब्धता के साथ साथ ऑफलाइन माध्यम से भी पुस्तकों की उपलब्धता अनिवार्य है। इसी क्रम में प्रकाशन ने ही विभिन्न शहरों के विभिन्न स्थानों पर बोधरस स्टॉल की शुरुआत कर चुका है जो को लखनऊ के हजरतगंज में भी उपलब्ध है।
पूरे शहर में फायरसाइड की हैं 9 लैब्स-
कलाकारों और लेखकों की एक बड़ी समस्या- स्थान की अनुपलब्धता, जिसे फायरसाइड क्रिएटर लैब्स हल करता है। 100/- रुपए के मासिक शुल्क पर फायरसाइड क्रिएटर लैब्स कलाकारों और लेखकों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध है। लखनऊ के अलग अलग मोहल्लों में ऐसी 9 लैब्स हैं, जिनका इस्तेमाल कलाकार और लेखक अपनी क्लासेज, एग्जिबिशन एवं आर्ट स्टूडियो और अन्य टैलेंट्स के लिए कर सकते हैं।
फायरसाइड की संस्थापक का कहना है कि…..
फायरसाइड क्रिएटर लैब्स की संस्थापक पूर्णिमा शुक्ला का कहना है कि सामुदायिक केन्द्र प्रत्येक मोहल्ले में होने चाहिए। सामुदायिक केंद्रों के सही संचालन से नौजवान पीढ़ी कलात्मक करियर से जुड़ेगी, कला समाज के प्रत्येक नागरिक के नजदीक आयेगी, प्रत्येक मोहल्ले में एक लोकल एवं सर्कुलर अर्थव्यवस्था का विकास हो सकेगा।
पूर्णिमा आगे कहती हैं कि मनुष्यों की आधुनिक जीवन शैली ने पर्यावरण को अत्यंत नुकसान पहुंचाया हैं। लोकल एवं सर्कुलर अर्थव्यस्था, अपने निकटतम स्त्रोत से अपनी आवश्यकताओं को पूरा करना, इस्तेमाल की हुई वस्तुओं को दोबारा उपयोगी बनाना, से मनुष्य एक सुखदायक पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली बना सकता है।
पूर्णिमा कहती हैं कि फायरसाइड क्रिएटर लैब्स आधुनिक सामुदायिक केंद्रों के माध्यम से समाज को इस दिशा में प्रेरित करता है।