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अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस : मिशन शक्ति फेस थ्री के तहत एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

बदलते सामाजिक परिवेश में हम अपनी परंपरा से थोड़ा दूर हो गए हैंभारतीयता की परंपरा को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। – प्रो आनंद कुमार त्यागी, कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ

वाराणसी। मिशन शक्ति फेस थ्री के अंतर्गत, महिला सशक्तिकरण प्रकोष्ठ, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की ओर से, अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के अवसर पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। रविवार को हुए इस आयोजन का विषय था-  ‘बदलते परिवेश में परिवार की भूमिका एवं दायित्व’

अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस : मिशन शक्ति फेस थ्री के तहत एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आनंद कुमार त्यागी ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति ने परिवार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बदलते सामाजिक परिवेश में हम अपनी परंपरा से थोड़ा दूर हो गए हैंभारतीयता की परंपरा को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि परिवार ही वही पाठशाला है, जहाँ से चरित्रनिर्माण व व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया शुरू होती है और जो व्यक्ति को आत्म शक्ति प्रदान करती है। भारतीय परिवार परंपरा ही आज के समाज की विकृतियों यथा अवसाद ,आत्महत्या, घर से भागने जैसे समस्या इत्यादि का एकमात्र समाधान है।

कुलपति प्रो त्यागी आगे कहते हैं कि सशक्त परिवार ही सशक्त व्यक्तित्व का कारक है| आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता सनातन पारिवारिक परंपरा की पुनर्स्थापना है क्योंकि केवल इसी माध्यमसे हम अपने भ्रमित युवा शक्ति को सही मार्ग पर ला सकते हैं।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के उत्तर प्रदेश के मीडिया सह-प्रभारी धर्मेंद्र सिंह मौजूद थे। उन्होंने इस अवसर पर, अपने संबोधन में भारतीय पारिवारिक परंपरा के इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि, क्योंकि आज समय बहुत बदल रहा है परंतु फिर भी आधुनिकता की आंधी में भारतीय परिवार की परंपरागत पूंजी को बचाकर रखने एवं जड़ों से जुड़कर रहने की आवश्यकता है। 

उन्होंने रामचरितमानस का उदाहरण देते हुए कहा कि राम के चरित्र में हमें पारिवारिक रिश्तो की मर्यादा, जिम्मेदारियों एवं मानव जीवन में परिवार की भूमिका का प्रबल उदाहरण मिलता है। यह परिवार केवल खून के रिश्तो से नहीं बनता बल्कि प्राणी मात्र के परस्पर सहयोग, सामंजस्य एवं संबंध से बनता है।

इस अवसर पर, विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सुनीता पांडे भी उपस्थित रहीं। उक्त अवसर पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों हेतु ‘बदलते परिवेश में परिवार की भूमिका एवं दायित्व’ विषयक कविता लेखन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया|

उक्त प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हरि ओम नारायण सिंह द्वितीय स्थान रागिनी राय एवं तृतीय स्थान तहरीम फातिमा को प्राप्त हुआ| सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं, विभिन्न विभागों के शिक्षकों डॉ डॉक्टर संगीता घोष डॉक्टर नीरज धनकर डॉ किरण सिंह डॉक्टर ममता सिंह राजेश राय जी एवं महिला सशक्तिकरण प्रकोष्ठ के सभी सदस्यों की उपस्थिति रही।

कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी विभाग की छात्रा प्रज्ञा राय ने किया। अतिथियों का स्वागत आयोजन सचिव एवं महिला सशक्तिकरण प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉ निशा सिंह ने किया। वहीं, धन्यवाद ज्ञापन डॉ किरन सिंह ने किया। स्वरचित काव्य पाठ प्रतियोगिता में निर्णय की भूमिका का निर्वहन डॉ संगीता घोष एवं डॉ नीरज धनकड़ द्वारा किया गया।

रिपोर्ट- जमील अख्तर 

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